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प्रश्न :
भारत को परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) की सदस्यता की आवश्यकता क्यों है? भारत अब तक इस समूह में अपनी जगह बना पाने में सफल क्यों नहीं हो पाया है? टिप्पणी करें।
23 Sep, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- NSG का संक्षिप्त परिचय दें।
- भारत को इसकी सदस्यता की आवश्यकता क्यों है, समझाएँ।
- भारत के अब तक इसमें प्रवेश न कर पाने के कारणों का उल्लेख करें।
- निष्कर्ष
NSG परमाणु आपूर्तिकर्त्ता देशों का समूह है। वर्तमान में इसमें कुल 48 सदस्य देश शामिल हैं। इस समूह की स्थापना भारत द्वारा 1974 में किये गए पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद की गई थी। इस समूह का उद्देश्य परमाणु तकनीक और हथियारों के अप्रसार को सुनिश्चित करना है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी पाँचों स्थायी सदस्य तथा परमाणु अप्रसार संधि के हस्ताक्षरकर्त्ता 43 देश इस समूह में शामिल हैं।
भारत के लिये NSG की सदस्यता की आवश्यकता –
- पेरिस जलवायु सम्मलेन में प्रकट की गई अपनी प्रतिबद्धता के अनुसार भारत जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को कम करने के साथ-साथ अपनी उर्जा मांग का कुल 40% स्वच्छ उर्जा के रूप में उत्पादित करना चाहता है। इसके लिये भारत को अपना परमाणु उर्जा उत्पादन बढ़ाने हेतु इस समूह की सदस्यता लेना आवश्यक है।
- भारत परमाणु उर्जा व्यापार में भागीदार बनने का इच्छुक है। इसके लिये परमाणु उर्जा से संबंधित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी प्राप्त करने के लिये NSG की सदस्यता ज़रूरी है।
- देश में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये परमाणु उर्जा के उपकरणों के व्यावसायीकरण को भी बढ़ावा दिया जा सकता है।
- NSG सदस्यता से भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि को और सशक्त रूप दिया जा सकता है। इस समूह की सदस्यता भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के दावे को और मजबूती प्रदान करेगी।
NSG की सदस्यता पाने में भारत की असफलता के कारण-
- 2016 में अमेरिका, मैक्सिको आदि देशों के समर्थन के बावज़ूद भारत NSG में शामिल होने में असफल रहा, क्योंकि NSG में सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिये जाते हैं और NPT तथा CTBT का हस्ताक्षरकर्त्ता नहीं होने के आधार पर स्विट्ज़रलैंड, ब्राज़ील, ऑस्ट्रिया आदि ने भारत की उम्मीदवारी का विरोध किया था।
- भारत को NSG सदस्यता दिये जाने की स्थिति में चीन पाकिस्तान को भी NSG में प्रवेश देने का तर्क रखता है ।
भारत को NSG में प्रवेश पाने के लिये और भी कूटनीतिक प्रयास करने होंगे तथा इसके सदस्य देशों को अपने शांतिपूर्ण उद्देश्यों से परिचित कराकर भारत के प्रति उनमें विश्वास पैदा करना होगा। जब तक भारत को NSG की सदस्यता नहीं मिल जाती, तब तक भारत अपनी परमाणु आवश्यकताओं को द्विपक्षीय असैन्य परमाणु समझौतों के ज़रिये पूरा कर सकता है।
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