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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    चुनावी आचार संहिता उल्लंघन की घटनाएँ बढ़ गई हैं। क्या आपको लगता है कि इसे वैधानिक (सांविधिक) समर्थन दिये जाने की आवश्यकता है? भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) के प्रभाव का विश्लेषण करें।

    12 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा-

    • दिये गए कथन को सिद्ध करने के लिये आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के उदाहरण दें।
    • समझाएँ कि इसे वैधानिक समर्थन देने की मांग क्यों उचित है।
    • इसे सांविधिक समर्थन देने के संभावित परिणामों का उल्लेख करें।
    • निष्पक्ष चुनाव कराने के लिये आदर्श आचार संहिता के निर्माण हेतु अपने स्वयं के सुझाव देकर समाप्त करें।

     2014 लोकसभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के एक लाख से अधिक मामले दर्ज किये गए थे, जिनमें से 216 मामलों में ही प्राथमिकी दर्ज की गई थी लेकिन एक भी मामले में सजा नहीं हुई है। अतः कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति सहित कई अन्य पक्षों ने भी इसे वैधानिक (सांविधिक) समर्थन देने का सुझाव दिया है।

    सांविधिक समर्थन वांछनीय क्यों है-

    यह तर्क दिया जाता है कि आदर्श आचार संहिता के अधिकांश नियम पहले से ही विभिन्न कानूनों में शामिल हैं I उदाहरण के लिये-समुदायों के बीच तनाव पैदा करना आदि। इसलिये यह आवश्यक है कि इन कानूनों की तरह ही आदर्श आचार संहिता के अन्य प्रावधानों को भी प्रभावी बनाने के लिये उन्हें भी सांविधिक समर्थन दिया जाए।  

    वैधानिक समर्थन देने में समस्याएँ-

    • अनावश्यक मुकदमेबाजी- उच्च न्यायालयों में इनसे संबंद्धित बड़ी संख्या में मामले दर्ज किये जाएंगे। इससे न्यायपालिका पर और अधिक दबाव बढ़ेगा।
    •  विलंबित फैसले: वर्तमान में, चुनाव आयोग एक संक्षिप्त सूचना पर उल्लंघनकर्त्ताओं को दंडित करता है। जबकि न्यायपालिका में इन मुकदमों के निपटान में बहुत समय लगेगा।
    • आदर्श आचार संहिता की कम प्रभावकारिता- अदालतों द्वारा विलंबित निर्णय उल्लंघनकर्त्ताओं के लिये प्रभावकारी साबित नहीं होंगे। 
    • चुनाव प्रक्रिया में बाधा आ सकती है क्योंकि न्यायालय, न्याय की रक्षा के लिये चुनाव के संचालन पर रोक आदेश जारी कर सकता है।
    • नैतिक दायित्व, कानूनी दायित्व में परिवर्तित हो जाएगा। आचार संहिता को  वैधानिक समर्थन से यह तकनीकी रूप से और जटिल तथा नैतिक रूप से और शिथिल बन जाएगी।

    इसलिये, यदि आदर्श आचार संहिता को वैधानिक समर्थन दिया जाना है, तो कई अन्य पहलुओं पर भी गंभीरता से ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।

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