यह सत्य है कि अनुच्छेद 356 के तहत आपातकाल की घोषणा अनन्य रूप से राष्ट्रपति की व्यक्तिनिष्ठ संतुष्टि पर निर्भर है लेकिन इस निर्णय का आधार सदैव वस्तुनिष्ठ होना चाहिये। चर्चा करें।
23 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा-
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कुछ समय पहले अरुणाचल प्रदेश व उत्तराखंड में अनुच्छेद 356 के आधार पर आपात की घोषणा की गई थी। विदित हो कि अनुच्छेद 356 के अंतर्गत आपात की घोषणा ‘संवैधानिक संकट’ के आधार पर की जाती है।
उल्लेखनीय है कि संविधान निर्माताओं ने इस अनुच्छेद का उपयोग दुर्लभतम परिस्थितियों में करने की सलाह दी थी, लेकिन स्वतंत्र भारत में इसका उपयोग राजनैतिक लाभ व विवाद के कारण तीव्रता (100 से अधिक बार) से किया गया। इस क्रम में अनुच्छेद की व्यक्तिनिष्ठता व इसमें वस्तुनिष्ठता के समन्वय को निम्न प्रकार समझा जा सकता हैः
व्यक्तिनिष्ठता का तत्त्व कैसे?
अनुच्छेद 356 के दो महत्त्वपूर्ण पहलू हैं-
वस्तुनिष्ठता आवश्यक क्यों?
अनुच्छेद 356 के अंतर्गत प्रावधानों की सीमाओं को सर्वोच्च न्यायालय ने एस.आर. बोम्मई केस में निर्धारित किया। इसके अंतर्गत इस अनुच्छेद की व्यक्तिनिष्ठता को कम करके वस्तुनिष्ठता के तत्त्व को बढ़ाने हेतु आपात की घोषणा को न्यायिक पुनर्विलोकन की सीमा के अंतर्गत लाया गया, क्योंकि निस्संदेह आपात की उद्घोषणा संविधान के अनुसार राष्ट्रपति का व्यक्तिनिष्ठ निर्णय है, फिर भी सहयोगी संघवाद को सुनिश्चित करने हेतु इस निर्णय का आधार सदैव वस्तुनिष्ठ होना चाहिये।