73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1993 के लागू होने के दो से अधिक दशकों के बाद भी ग्राम स्वराज का गांधीवादी आदर्श एक अधूरी कार्यसूची (एजेंडा) के रूप में बना हुआ है। टिप्पणी कीजिये।
25 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा-
|
गांधी जी के लिये गाँव और ग्रामीण जनता ही सामाजिक और राजनीतिक संगठन का केंद्र बिंदु थे। गांधी जी के अनुसार भारतीय राज्य की आत्मा गाँवों में बसती है, इसीलिये गाँवों को सशक्त करने के लिये ग्राम स्वराज यानी स्वशासन को बढ़ावा देना ज़रूरी है।
1993 में गांधीवादी ग्राम स्वराज (आत्म शासन) के सपने को साकार करने के लिये और पंचायतों को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने के लिये संसद से संवैधानिक संशोधन अधिनियम पारित कर दिया गया। इसके साथ ही अनिवार्य त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था लागू की गई।
इस त्रिस्तरीय व्यवस्था के रूप में काम करने के लिये पंचायतों को विभिन्न प्रावधान प्रदान किये गए हैं, लेकिन इन पंचायतों का काम देखें तो संबंधित ग्राम पंचायतें विभिन्न कारणों से अपेक्षाओं को पूरा करने में नाकाम हुई हैं, जो कि निम्नलिखित हैं-
गांधी जी के सपने को साकार करने के लिये राज्य सरकार द्वारा पंचायत को और ज़्यादा अधिकार तथा ज़िम्मेदारियाँ देनी चाहियें।