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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली संस्था है, लेकिन यह संस्था कई प्रकार की समस्याओं से जूझ रही है। सीबीआई में संभावित सुधारों पर टिप्पणी करें।

    26 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा-

    • सीबीआई का संक्षिप्त परिचय दें।
    • सीबीआई के समक्ष उपस्थित समस्यों और उसकी आलोचना के बिंदुओं पर प्रकाश डालें।
    • सुधार हेतु उपाय सुझाएँ।
    • निष्कर्ष

    सीबीआई, कार्मिक विभाग, कार्मिक पेंशन तथा लोक शिकायत मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कार्यरत एक प्रमुख अन्वेषण पुलिस एजेंसी है। यह नोडल पुलिस एजेंसी भी है, जो इंटरपोल के सदस्य-राष्ट्रों के अन्वेषण का समन्वयन करती है। एक भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी से हटकर सीबीआई एक बहुआयामी, बहु-अनुशासनात्मक केंद्रीय पुलिस, क्षमता, विश्वसनीयता और विधि शासनादेश का पालन करते हुए जाँच करने वाली एक विधि प्रवर्तन एजेंसी है और यह भारत में कहीं भी अपराधों का अभियोजन करती है।

    पिछले कुछ समय से सीबीआई कई प्रकार की समस्याओं और आलोचना का सामना कर रही है, जिसके पीछे विभिन्न कारण हैं, जो कि निम्नलिखित हैं-

    • भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध, हत्याकांड आदि विविध मामलों की जाँच का बहुत अधिक बोझ इस संगठन पर है।
    • सीबीआई प्रतिनियुक्ति के आधार पर पुलिस अधिकारियों की सेवाएँ ले पाती है, जिसके कारण भविष्य की नियुक्तियों को लेकर इन्हें सरकार द्वारा प्रभावित किया जा सकता है। 
    • कार्य करने के लिये अपर्याप्त स्वायत्तता और शक्ति।
    • राजनीतिक दबाव में काम करने को लेकर सीबीआई की आलोचना काफी समय से की जा रही है। एक आम धारणा है कि सरकार अपने विरोधियों को नियंत्रित करने के लिये सीबीआई का दुरुपयोग करती है। वैसे कहने के लिये सीबीआई एक स्वायत्त संस्था है, लेकिन वस्तुस्थिति अलग है। सर्वोच्च न्यायालय अपनी एक टिप्पणी में इसे ‘पिंजरे में बंद तोता’ (a caged parrot) बता चुका है, जो अपने मालिक के निर्देश पर ही बोलता है। 
    • मामलों की धीमी जाँच को लेकर भी सीबीआई आलोचना का सामना करती रही है। उदाहरण के तौर पर आरुषि हत्याकांड की जाँच को लेकर सीबीआई की कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठाए जा रहे हैं।

    संभावित सुधार-

    • सीबीआई निदेशक और अन्य अधिकारियों की नियुक्ति-प्रक्रिया, सेवा-शर्तें, स्वायत्तता आदि को स्पष्ट करने वाला एक अलग अधिनियम संसद द्वारा पारित किया जाना चाहिये।
    • राजनीतिक हस्तक्षेप से सुरक्षित समर्पित अधिकारियों का एक कैडर विकसित किया जाना चाहिये।
    • सीबीआई की कार्यप्रणाली को प्रभावी बनाने के लिये प्रशासनिक और वित्तीय संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिये।
    • उपयुक्त प्रशिक्षण के माध्यम से कार्यशैली में उच्च नैतिक मानकों का समावेश किया जाना चाहिये।

    इस प्रकार विभिन्न सुधारों के माध्यम से भारत की अपराध अन्वेषण की सर्वोच्च संस्था सीबीआई को प्रभावशाली और निष्पक्ष बनाकर विश्व की अन्य बेहतरीन अन्वेषण एजेंसियों जैसे- FBI, CIA के समतुल्य बनाया जा सकता है। इसके लिये हमारे राजनीतिक वर्ग को अपनी इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करना होगा।

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