विश्व विकास रिपोर्ट-2018 अपने पूर्व के संस्करणों से किस प्रकार भिन्न है? भारत के संबंध में यह कौन-सी चिंताएँ व्यक्त करती है? इसमें उजागर की गई विसंगतियों को समाप्त करने के लिये कौन-से आवश्यक कदम उठाए जा सकते हैं?
27 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा-
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विश्व बैंक वार्षिक आधार पर विकास की वैश्विक स्थिति के बारे में एक विश्लेषणपरक विश्व विकास रिपोर्ट जारी करता है। यह रिपोर्ट आर्थिक, सामाजिक तथा पर्यावरण के बारे में एक व्यापक सर्वेक्षण प्रस्तुत करती है। प्रत्येक वर्ष इसका केंद्र बिंदु विश्व बैंक के अध्यक्ष द्वारा चयनित कोई विशेष क्षेत्र होता है। पूर्व के वर्षों की रिपोर्ट में चयनित महत्त्वपूर्ण विषय थे- कृषि, संक्रमणशील अर्थव्यवस्था, श्रम, आधारिक संरचना, स्वास्थ्य, गरीबी तथा पर्यावरण आदि।
हाल ही में जारी विश्व विकास रिपोर्ट का 2018 का संस्करण अपने पूर्व के संस्करणों से इस दृष्टि में भिन्न है कि विश्व बैंक ने पहली बार इस रिपोर्ट को शिक्षा केंद्रित बनाया है। नई रिपोर्ट इसलिये महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि यह शिक्षा और कुपोषण के मध्य अंतर्निहित प्रवृत्तियों के एक महत्त्वपूर्ण पक्ष को उजागर करती है। विश्व बैंक की ‘वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट- 2018: लर्निंग टू रियलाइज एजुकेशंस प्रॉमिस’ शिक्षा पर केंद्रित है और जहाँ तक विश्व बैंक की वार्षिक विश्व विकास रिपोर्ट का सवाल है तो 4 दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है जब विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में शिक्षा का ज़िक्र किया है। इस रिपोर्ट से संबंधित सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इसमें बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर गरीबी और कुपोषण के दूरगामी प्रभाव की चर्चा की गई।
इस रिपोर्ट में भारत के संबंध में निम्नलिखित चिंताएँ व्यक्त की गई हैं-
इस रिपोर्ट में उजागर विभिन्न विसंगतियों को समाप्त करने के लिये निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं-
विश्व बैंक की यह रिपोर्ट निश्चित ही भारत के लिये आँखें खोलने वाली है, हालाँकि ऐसा नहीं है कि इससे पहले हम सुधारों के लिये प्रयासरत नहीं थे। बच्चों के भविष्य को सही राह दिखाने एवं देश में समावेशी विकास को बढ़ावा देने हेतु यह आवश्यक है कि शिक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त किया जाए। अत: हमें अन्य सुधारों के साथ-साथ उचित प्रशासन मानकों, सरकार द्वारा पर्याप्त प्रोत्साहन और चेक और बैलेंस की नीति अपनाने की ज़रूरत है।