"सट्टेबाज़ी एक ऐसी बुराई है जिसे समाप्त नहीं किया जा सकता है। इस समस्या की ओर पीठ करने के बजाय सरकार को सट्टेबाज़ी को वैध बना देना चाहिये। सट्टेबाज़ी को वैध बनाने से खेल और इसके भागीदारों पर अनैतिक तत्त्वों के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।" इस कथन के प्रकाश में भारत में सट्टेबाज़ी को वैध करने के परिणामों का मूल्यांकन करें।
30 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा-
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भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (B.C.C.I- बी.सी.सी.आई.) की कार्यप्रणाली की समीक्षा के लिये गठित जस्टिस लोढ़ा समिति ने सशक्त प्रावधानों के साथ क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता देने की सिफारिश की है, किंतु यह खिलाड़ियों और टीम प्रबंधन के लिये प्रतिबंधित है। इस कदम के संभावित सकारात्मक व नकारात्मक पक्ष अग्रलिखित हैं-
सकारात्मक पक्षः
नकारात्मक प्रभावः
मूल्यांकनः उल्लेखनीय है कि भारत में गैर-कानूनी सट्टेबाजी के प्रावधानों के उपरान्त भी भूमिगत एक बड़ा सट्टेबाजी कारोबार संचालित है। अतः इस कारोबार को प्रतिबंधित करने हेतु लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू किया जा सकता है। बशर्ते, बीसीसीआई समेत अन्य खेल प्राधिकरण खिलाड़ियों व टीम प्रबंधन से जुड़े लोगों के लिये आंतरिक तंत्र (In-built mechanism) का गठन करें। साथ ही सरकार को ब्रिटेन व अन्य देशों के द्वारा विनियमित सट्टेबाजी कारोबार से तकनीकी विशेषज्ञता को ग्रहण करने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त धोखाधड़ी, उम्र प्रतिबंधन हेतु तकनीकी संवर्द्धन के साथ-साथ सट्टेबाजों (Bookis) द्वारा ‘पैटर्न मॉनीटरिंग सेल’ का गठन किया जा सकता है जो संबंधित ग्राहक की ‘सट्टेबाजी लत’ का विश्लेषण करेगी और परामर्श टीम इस दिशा में ग्राहक से वार्तालाप करेगी।