दबाव समूह, राजनीतिक दलों से किस प्रकार भिन्न हैं? “राजनीतिक दलों की निष्क्रियता से उपजा निर्वात ही दबाव समूह की उत्पत्ति का कारण है।” इस कथन पर चर्चा करें।
04 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा-
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दबाव समूह उन लोगों का समूह होता है, जो कि सक्रिय रूप से संगठित होते हैं,अपने हितों को बढ़ावा देते हैं और उनकी प्रतिरक्षा करते हैं। ये सरकार पर दबाव बनाकर लोकनीति को बदलने की कोशिश करते हैं। इनका काम एक तरह से सरकार और उसके सदस्यों के बीच संपर्क बनाने का होता है। उदाहरण- श्रमिक संघ, कर्मचारी संगठन, किसान संगठन, छात्र संघ, व्यापारिक समूह आदि।
राजनीतिक दलों से ये निम्नलिखित रूप में भिन्नता प्रदर्शित करते हैं-
कई आवश्यक मामलों को लेकर राजनीतिक दल निष्क्रिय होते हैं, तथा उन पर ध्यान देना या उन पर नीतियों का निर्माण करना उनकी कार्यसूची में नहीं होता। ऐसा वे अपनी इच्छानुसार भी कर सकते हैं या कई बार स्वतः ही इन मामलों पर ध्यान नहीं दे पाते। उदाहरण के लिये पर्यावरणीय मामले ऐसे मामले हैं, जिनसे राजनीतिक दल आमतौर पर बच कर निकलना चाहते हैं।
विकास को अधिक महत्त्व देने के कारण राजनीतिक दल पर्यावरणीय चिंता से कोई सरोकार नहीं रखते। ऐसे में पर्यावरण प्रदूषण, वनोन्मूलन, विकास परियोजनाओं के कारण विस्थापन आदि से प्रभावित होने वाले समूहों का प्रतिनिधित्व विभिन्न NGO या अन्य दबाव समूह करते हैं। वे प्रभावित वर्ग का समर्थन जुटाकर सरकार से उन मुद्दों पर बात करते हैं। आवश्यकता पड़ने पर वे हड़ताल और विरोध प्रदर्शन भी करते हैं। इस प्रकार दबाव समूहों के माध्यम से आम लोग अपनी समस्याओं को सरकार के समक्ष रख पाते हैं।
दबाव समूह सरकार को निरंकुश होने से रोकते हैं और लोकतंत्र को मज़बूत करते हैं। अब दबाव समूह लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक अभिन्न, अपरिहार्य एवं सहायक अंग बन गए हैं। दबाव समूह नागरिक और सरकार के बीच की एक कड़ी का काम करते हैं। ये आवश्यक सूचना प्रदान करते हैं और राष्ट्र को राजनीतिक रूप से जीवंत बनाए रखते हैं। आज राजनीतिक उपेक्षा के वातावरण में व्यक्ति अपने हितों का संरक्षण स्वयं अकेले नहीं कर सकता, ऐसे में दबाव समूहों की प्रासंगिकता और अधिक बढ़ जाती है।