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प्रश्न :
अंतर्राज्यीय परिषद के कार्यों का उल्लेख करें। अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में यह किस हद तक सफल रही है?
15 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- परिचय में अंतर्राज्यीय परिषद के बारे में संक्षिप्त जानकारी दें।
- संविधान के अनुच्छेद 263 के अधीन परिषद के कार्यों का उल्लेख करें।
- अंतर्राज्यीय परिषद के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।
संविधान का अनुच्छेद 263 केंद्र तथा राज्यों के मध्य समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से अंतर्राज्यीय परिषद के गठन का प्रावधान करता है। इस संदर्भ में राष्ट्रपति को सार्वजनिक हित में ऐसी परिषद का गठन करने की शक्ति दी गई है और राष्ट्रपति ही परिषद के कार्यों, संगठन और प्रक्रिया को निर्धारण करता है।
यद्यपि राष्ट्रपति को परिषद के कार्यों को निर्धारित करने की शक्ति है, फिर भी अनुच्छेद 263 इसके कर्त्तव्यों का उल्लेख करता है-
- राज्यों के मध्य होने वाले विवादों की जाँच करना और इस संबंध में सलाह देना।
- विभिन्न राज्यों और केंद्र तथा राज्यों के समान हित वाले विषयों पर अन्वेषण तथा विचार-विमर्श करना।
- विभिन्न विषयों तथा नीतियों के क्रियान्वयन में बेहतर समन्वय के लिये सिफारिश करना।
उल्लेखनीय है कि अंतर्राज्यीय विवादों पर परिषद की जाँच व सलाह देने की शक्ति उच्चतम न्यायालय को अनुच्छेद 131 के तहत प्राप्त शक्ति की संपूरक है और परिषद कानूनी अथवा गैर-कानूनी विवादों का निष्पादन कर सकती है, किंतु इसकी सिफारिशें सलाहकारी है न कि न्यायालय की भाँति अनिवार्यतः मान्य।
भारत में संघीय व्यवस्था को प्रगतिशील बनाने में वित्त आयोग, राज्यसभा, अखिल भारतीय सेवा के साथ सरकारिया आयोग की सिफारिश पर 1990 में बनी अंतर्राज्यीय परिषद की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।
- सहकारी संघवाद की सफलता के लिये केंद्र और राज्य के साथ स्थानीय स्तर पर अंतर्क्रिया होना आवश्यक है। परिषद अपनी इस भूमिका में काफी सफल रही है।
- परिषद ने समय-समय पर केंद्र व राज्यों के बीच संबंध-अंतराल को पाटने का कार्य किया है।
- यद्यपि संघीय व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने तथा समावेशी लोकतंत्र को बढ़ावा देने और केंद्र व राज्यों के बीच सुरक्षा वॉल्व के रूप में परिषद ने अपनी भूमिका सिद्ध की है तथापि निर्णय बाध्यकारी न होने व नियमित अंतराल पर बैठक नहीं होने से यह अपनी क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं कर सकी है।
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