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प्रश्न :
हाल ही में शरणार्थियों के मुद्दे एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या के रूप में उभरे हैं। क्या भारत में शरणार्थियों से संबंधित एक स्पष्ट नीति की तत्काल आवश्यकता है ? चर्चा करें।
18 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- शरणार्थी को परिभाषित करें।
- शरणार्थियों के समक्ष उत्पन्न होने वाली समस्याओं का उल्लेख करें।
- शरणार्थियों से संबंधित भारत के रुख को स्पष्ट करते हुए तत्काल स्पष्ट नीति की प्रासंगिकता पर चर्चा करें।
शरणार्थी सामान्यता ऐसे नागरिक होते हैं जो असुरक्षा या युद्ध के भय से दूसरे देशों में प्रवास के लिये बाध्य होते हैं। शरणार्थी समस्या वर्तमान में दुनिया के समक्ष एक गंभीर विषय बनकर उभरा है, जिसका कोई पुख्ता समाधान नहीं दिख रहा। आतंकवाद से संघर्ष कर रहा सीरिया एक देश हो गया है, जहाँ प्रत्येक नागरिक के मन में पलायन का विचार एक बार अवश्य आता है।
शरणार्थियों के समक्ष उत्पन्न होने वाली समस्याएँ:
- वर्तमान में शरणार्थियों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती आवास या निवास स्थान की है। कोई भी देश स्वेच्छा इन्हें शरण देने को तैयार नहीं हैं। इस संदर्भ में हंगरी में सीरियाई शरणार्थियों की स्थिति को देखा जा सकता है।
- हालाँकि, ब्रिटेन, फ्राँस, ज़र्मनी ने अपने देश में शरणार्थियों को पनाह देने की बात कही है, किंतु इन देशो में भी कुछ वर्गों के लोगों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। भारत में चकमा-हाजोंग के साथ भी कमोबेश यही परिस्थिति है। एक तरफ भारत सरकार जहाँ इन्हें नागरिकता देने तैयार है, वही ये जिस क्षेत्र में रहते हैं वहाँ के लोग उसे बाहरी ही मानते हैं।
- भिन्न नस्ल या धार्मिक समुदाय से संबंधित रहने के कारण इन्हें नस्लीय भेदभाव का भी शिकार होना पड़ता है।
- पलायन के दौरान अक्सर जल्दबाज़ी में इन्हें दुर्घटनाओं का शिकार होना पड़ता है। ऐयलन कुर्दी नामक बालक की मौत ने मानवता के इतिहास को कलंकित करने वाली घटना है।
- यदि किसी देश में इन्हें शरण मिल भी जाती है तो शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार आदि के अभाव में जीवन निर्वाह करना एक दुरूह कार्य होता है।
भारत में शरणार्थियों से संबंधित नीति की आवश्यकता:
भारत भी पड़ोसी देशों बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, तिब्बत और म्यांमार से आने वाले शरणार्थियों की समस्या से जूझ रहा है। वर्तमान में रोहिंग्या, चकमा-हाजोंग, तिब्बती और बांग्लादेशी शरणार्थियों के कारण भारत मानवीय, नैतिकता, आंतरिक सुरक्षा आदि समस्याओं से संघर्ष कर रहा है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि भारत भी शरणार्थियों के संबंध में एक ऐसी घरेलू नीति तैयार करे, जो धर्म, रंग और जातीयता की दृष्टि से तटस्थ हो और जो भेदभाव, हिंसा और रक्तपात के विकट स्थिति से उबारने में कारगर हो।
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