यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) भारत की जनसांख्यिकी को प्रभावित कर सकती है। विश्लेषण करें।
23 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा:
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यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) का आशय देश के प्रत्येक नागरिक को प्रतिमाह एक न्यूनतम निर्धारित आमदनी सुनिश्चित कराने से है। वर्ष 2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण में इसकी व्यापक चर्चा की गई है। वस्तुतः यूनिवर्सल बेसिक इनकम का दर्शन “हर आँख से आँसू पोछना” है, क्योंकि UBI में सार्वभौमिक, बिना शर्त और एक उपयुक्त साधन होने की बात की गई है। साथ ही UBI व्यक्ति को किसी पेशे को चुनने की स्वायत्ता प्रदान करने में भी महत्त्वपूर्ण साधन प्रदान कर गरीबी को कम करने में मदद कर सकती है। इस तरह UBI जीवन शैली को बेहतर बनाने के लिये एक उपयोगी उपकरण साबित हो सकती है।
दरअसल, UBI के अंतर्गत विद्यमान तीनों घटकों जिसमें सार्वभौमिकता, बिना शर्त और उपयुक्त साधन साबित होने के कारण सभी सकारात्मक बातों के अलावा दूरगामी रूप से यह अवैध आव्रजन या विदेशियों के अवैध प्रवेश को बढ़ावा दे सकता है। साथ ही वे बुनयादी आमदनी पाने के लिये किसी भी तरह से यहाँ की नागरिकता प्राप्त करने में जुट जाएंगे। इसके अंतर्गत मौजूद एक घटक ‘बिना शर्त’ के कारण यह और भी ज्यादा असुरक्षित प्रतीत हो रहा है। साथ ही यूबीआई के तहत 'नोफ्रिल-' ढंग से हस्तांतरण होने की उम्मीद है, इसलिये लाभार्थियों की चयन प्रक्रिया कमोबेश यंत्रवत ही रहेगी।
अतः यह कहा जा सकता है कि यूनिवर्सल बेसिक इनकम भारत के सीमावर्ती राज्यों विशेषकर पूर्वोत्तर के राज्यों असम, मिज़ोरम, पश्चिम बंगाल आदि में जहाँ बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी या भारत के अन्य स्थानों पर भी जहाँ शरणार्थियों के रूप में विदेशी निवास करते हैं, वहाँ की जनसांख्यिकी को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती है। इसके अतिरिक्त यह अन्य आवश्यक संसाधनों की आपूर्ति को प्रभावित कर सकती है।
अतः यूनिवर्सल बेसिक इनकम को लागू करने से पहले संबंधित औपचारिकताओं को सावधानीपूर्वक निपटाना होगा, ताकि भारतीय परिप्रेक्ष्य में यह जीवन शैली को बेहतर बना सके। इसके लिये जैम(JAM) (जनधन, आधार और मोबाइल) की मदद उल्लेखनीय साबित हो सकती है।