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प्रश्न :
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने अपनी रूस यात्रा के दौरान 18वें ‘भारत-रूस शिखर सम्मलेन’ में भागीदारी की। इस सम्मलेन के प्रमुख बिंदुओं को उजागर करते हुए रूस के संदर्भ में भारत की चिंताओं को स्पष्ट करें।
28 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- भारत-रूस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को संक्षेप में बताएँ।
- 18वें ‘भारत-रूस शिखर सम्मलेन’ के महत्त्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख करें।
- भारत-रूस संबंध में भारत के दृष्टिकोण से प्रमुख चिंताओं को स्पष्ट करें।
पूर्व में सोवियत संघ और वर्तमान में रूस के साथ मज़बूत एवं प्रगाढ़ संबध भारत की विदेश नीति का प्रमुख स्तंभ रहा है। सन् 1971 में दोनों देशों के बीच संबंध एक नई ऊँचाई पर पहुँच गए जब दोनों देशों ने शांति, मित्रता व सहयोग की संधि पर हस्ताक्षर किये। दोनों देशों ने सन् 2000 में रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की। इन 17 वर्षों में भारत-रूस के बीच कई क्षेत्रों में व्यापक सहयोग हुआ है और आपसी रिश्ते विस्तृत हुए हैं। इसके अतिरिक्त इस वर्ष दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे हुए हैं। इस कारण सेंट-पीटर्सबर्ग में 18वां वार्षिक शिखर सम्मलेन काफी महत्त्वपूर्ण रहा और सेंट-पीटर्सबर्ग घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किये गए।
शिखर सम्मलेन के प्रमुख बिंदु:
- दोनों देशों के मध्य ऊर्जा सहयोग को और व्यापक बनाने और एक एनर्जी ब्रिज़ के निर्माण की बात स्वीकार की गई है। इसके लिये परमाणु सहित हाइड्रोकार्बन, अक्षय ऊर्जा और पनबिजली आदि क्षेत्रों में संबंधों का दायरा बढ़ाने और ऊर्जा दक्षता को सुदृढ़ करने पर बल दिया गया है।
- भारत और रूस में निवेश को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय निवेश संवर्द्धन एजेंसी ‘इन्वेस्ट इंडिया’ और बिज़नेस काउंसिल फॉर कोऑपरेशन विद इंडिया के बीच समझौता ज्ञापन।
- दोनों देशों ने रेलवे के प्रौद्योगिकीय विकास, समर्पित माल भाड़ा गलियारा और हाई स्पीड ट्रेन के क्षेत्र में दिलचस्पी दिखाई है। इस संदर्भ में रेलवे ने एक विशेष उद्देशीय प्रबंध स्थापित करने के लिये हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड और ज्वाइंट स्टॉक कंपनी ‘कैसकेड-टेक्नोलोजिज’ के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
- इसके अतिरिक्त सुरक्षा परिषद और परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन, 21वीं शताब्दी में राष्ट्रों के मध्य संबंधों में प्राकृतिक विकास को स्वीकार करते हुए ‘बहु-ध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था’ की स्थापना को सम्मान देने की बात स्वीकार की गई है।
भारत की चिंताएँ:
- वर्ष 2016 में पाकिस्तान और रूस के बीच पहला संयुक्त सैन्यभ्यास ‘फ्रैंडशिप 2016’ के नाम से पाकिस्तान में किया गया। यह शीतयुद्ध के बाद दोनों देशों में पहली बार आई नज़दीकी का द्योतक है जो भारत के लिये चिंतनीय है।
- गोवा में ब्रिक्स सम्मलेन के दौरान भारत द्वारा पाकिस्तान के दो आतंकी समूहों पर भारत में आतंकवाद फैलाने के आरोपों का रूस द्वारा समर्थन नहीं देना।
- पकिस्तान और अफगानिस्तान की धरती से उत्पन्न होने वाले आतंकी गतिविधियों के बारे में दोनों देशों के मतों में भिन्नता।
- रूस का चीन की तरफ बढ़ती नजदीकियाँ भी भरोसेमंद साथी को खोने के समान है।
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