“क्रोधित कोई भी हो सकता है, यह आसान है। लेकिन उचित व्यक्ति से उचित सीमा तक, उचित समय पर, उचित उद्देश्य के लिये उचित तरीके से क्रोध व्यक्त करना सरल नहीं है।” (अरस्तू)
15 Sep, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
उत्तर की रूपरेखा:
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उपरोक्त कथन किसी व्यक्ति की भावना को दर्शाता है। भावना, चेतना की एक प्रभावी अवस्था होती है जिसमें दुख, डर, घृणा या पसंद आदि अवस्थाओं को चेतना के ज्ञानमार्गी व इच्छाशक्ति आधारित मापदंडों पर विभेदात्मक रूप से अनुभव किया जाता है।
किसी व्यक्ति की सफलता में अनेक कारकों की भूमिका होती है,लेकिन इनमें से कोई भी कारक भावना से अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं होता। अतः भावना को काबू में रखना सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। भावना को,भावनात्मक समझ के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
भावनात्मक समझ में किसी की इच्छाओं के नियंत्रण, मनोभावों के नियमन, अनुभूति का विचारों से पृथक्करण, अपने को किसी दूसरे के अनुसार ढालने की शक्ति होती है। दूसरे शब्दों में यह स्वयं एवं दूसरे की भावनाओं को समझने तथा उसके प्रबंधन का संयोजन है। भावनात्मक समझ के माध्यम से भावनाओं का प्रबंधन निम्नांकित तरीके से किया जाता हैः
इसलिये भावनाओं से तालमेल बैठाना, प्रत्येक कार्य के लिये, जीवन के लिये महत्त्वपूर्ण है और भावनात्मक समझ इसमें काफी सहायक होती है। भावनात्मक रूप से समझदार व्यक्ति अपने आसपास एक स्वस्थ वातावरण का निर्माण करता है जिसमें उसके साथ काम करने वाले लोग बेहतर कार्यसंस्कृति की अनुभूति करते हैं।