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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    सतत् विकास लक्ष्यों को हासिल करने में स्कूली शिक्षा की भूमिका को स्पष्ट करें।

    05 Dec, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा- 

    • संक्षेप में सतत् विकास लक्ष्य का परिचय दें।
    • इसके चौथे लक्ष्य (समावेशी और गुणवत्ता युक्त शिक्षा) की विशेषताओं को बताते हुए सतत् विकास लक्ष्य की प्राप्ति में योगदान को बताएँ।

    सतत्  विकास लक्ष्य (SDG) जो यदा-कदा वैश्विक लक्ष्यों के नाम से भी जाने जाते हैं, गरीबी खत्म करने, पृथ्वी की रक्षा करने और सभी लोगों के लिये शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिये एक सार्वभौमिक आह्वान है। इसके तहत कुल 17 लक्ष्यों का निर्धारण किया गया है, जो पूर्व के सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों की सफलता का निर्माण करते हैं। संयुक्त राष्ट्र सतत्  विकास लक्ष्य के चौथे लक्ष्य के रूप में, सभी के लिये समावेशी और गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है।

    चूँकि, ये लक्ष्य आपस में जुड़े हुए हैं, इस तरह एक लक्ष्य की सफलता अन्य लक्ष्यों की सफलता पर निर्भर करती है। ऐसे में सभी के लिये समावेशी और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा अन्य वैश्विक लक्ष्यों को साधने में महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है।
    सतत्  विकास लक्ष्य भविष्य की पीढ़ियों के लिये स्थायी तरीके से जीवन की बेहतरी के लिये सही विकल्प उपलब्ध करने की दृष्टि से भागीदारी और व्यावहारिकता की भावना पर कार्य करता है। इसलिये यह विश्वास है कि सभी के लिये समावेशी और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा हासिल करना टिकाऊ विकास के लिये सबसे शक्तिशाली और सिद्ध वाहनों में से एक है।

    यूनेस्को की नई वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट 2017-18 में संयुक्त राष्ट्र निरंतर विकास लक्ष्य के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के प्रयास से वैश्विक शिक्षा प्रणालियों की भूमिका पर व्यापक और सूक्ष्म दृष्टि डाली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि संसार को गरीबी से मुक्त करना है और समृद्धि एवं खुशहाली बहाल करना है तो शिक्षा की सार्वभौमिक पहुँच की ज़वाबदेही को भी सुनिश्चित करना होगा। इसके लिये सभी हितधारकों को मिलकर प्रयास करना होगा।

    इसके अंतर्गत किफायती व्यावसायिक प्रशिक्षण की समान पहुँच को सुनिश्चित किया गया है, जो लिंग और धन की असमानताओं को समाप्त करने में भी मददगार साबित हो सकता है। इस तरह से यह कहा जा सकता है कि शिक्षा की सार्वभौमिक पहुँच से समाज में न केवल समानता स्थापित होगी, बल्कि लोगों के लिये रोज़गार के अवसर भी सुनिश्चत होंगे, जो विश्व में समावेशी विकास और दृष्टिकोण को बढ़ावा प्रदान करेगा।

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