सामाजिक अंकेक्षण (Social Audit) से आप क्या समझते हैं? इसके महत्त्व एवं सीमाओं की चर्चा करें।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- सामाजिक अंकेक्षण को समझाएँ।
- इसके महत्त्व पर चर्चा करें।
- इसकी सीमाओं पर चर्चा करें।
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सामाजिक लेखा या सामाजिक अंकेक्षण किसी भी कार्यक्रम अथवा क्रिया, जिसका संबंध प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से समाज से होता है, के सामाजिक निष्पादन के मूल्यांकन से संबंधित प्रक्रिया है। इसका प्रयोग किसी कार्य के प्राथमिक स्तर अर्थात् उद्भव से लेकर क्रियान्वयन एवं उस क्रियान्वयन के दीर्घकाल तक के प्रभावों की स्वतन्त्र व निष्पक्ष जाँच और उस जाँच में परिलक्षित कमियों में सुधार का परीक्षण, औचित्यता के साथ किया जाता है ताकि समाज के हित में हर स्तर तक विकास हो सके।
सामाजिक अंकेक्षण का महत्त्व-
- जिन संस्थाओं पर कैग का ऑडिट संबंधी अधिकार अस्पष्ट है, उनके ऑडिट के लिये सामाजिक अंकेक्षण कारगर विधि है।
- सामाजिक अंकेक्षण योजनाओं की प्रगति के भौतिक सत्यापन हेतु प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध करवाता है।
- इससे लोगों की प्रशासन में भागीदारी बढ़ती है और लोकतान्त्रिक प्रक्रिया और मज़बूत होती है।
- सामाजिक अंकेषण केवल एक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह शासन को अपने दायित्वों के लिये प्रतिबद्ध और जनता के प्रति जवाबदेह बनाता है।
- यह समुदायों के लिये उपयुक्त नीतियों और कार्यक्रमों को तैयार करने तथा उनमें सुधार करने में प्रशासन की सहायता करता है।
- यह प्रशासन के प्रति लाभार्थियों में विश्वास को पोषित करता है।
सामाजिक अंकेक्षण की सीमाएँ-
- सामाजिक लेखा स्थानीय प्रकृति का होता है। इसमें ऑडिट के कई पहलुओं की अनदेखी की जाती है।
- इससे प्राप्त परिणामों पर गहन विश्लेषण और चिंतन नहीं होता अतः इनके बाद होने वाली कार्रवाई का स्वरुप सीमित होता है।
- आँकड़ों की पर्याप्त अनुपलब्धता भी सामाजिक अंकेक्षण के वास्तविक उद्देश्य की प्राप्ति में बाधा है।
- प्रशासनिक इच्छाशक्ति का अभाव भी अंकेक्षण की इस प्रक्रिया को गतिहीन कर देता है।