भारत के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की अनुपलब्धता की स्थिति में अपनी राय स्पष्ट करें।
12 Dec, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधभारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता पाने के लिये काफी समय से प्रयत्न कर रहा है, लेकिन विभिन्न कारणों से उसके प्रयास विफल या आंशिक रूप से ही सफल हो पा रहे हैं। सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र का सबसे महत्त्वपूर्ण और शक्तिशाली समूह है। इसके 5 स्थायी सदस्यों के पास वीटो शक्ति है, जिसका इस्तेमाल वे संयुक्त राष्ट्र के महत्त्वपूर्ण निर्णयों को प्रभावित करने के लिये करते हैं।
भारत के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की दावेदारी पेश करने वाले अन्य प्रतिस्पर्धी देशों में जापान, जर्मनी और ब्राजील भी शामिल हैं। हालाँकि तर्क यह भी दिया जा रहा है कि एशिया के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिये एक और एशियाई देश को शामिल किया जा सकता है, लेकिन फिर प्रश्न उठता है कि उस एशियाई देश के तौर पर भारत को ही प्राथमिकता क्यों दी जाए, जापान को क्यों नहीं?
भारत ने समय-समय पर महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर अपना पक्ष दुनिया के सामने रखा है। चाहे दुनिया के अशांत क्षेत्रों में अपनी शांति सेनाएँ भेजने की बात हो या आतंकवाद से जर्जर हो चुके अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण की बात हो, भारत ने शांति के पक्षधर देश की भूमिका बखूबी निभाई है। आतंकवाद को लेकर भी भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय रूप से अपना पक्ष रखा है। इसके अतिरिक्त सवा सौ करोड़ की बड़ी आबादी, तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था, एक जीवंत लोकतंत्र तथा ज़िम्मेदार परमाणु शक्ति की छवि भी भारत की दावेदारी का समर्थन करने वाले प्रमुख तथ्य हैं।
भारत को सभी राष्ट्रों का समर्थन पाने के लिये स्वयं को न केवल विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में लाना होगा, बल्कि एक महान सैन्य शक्ति बनने के भी प्रयास करने होंगे। ICJ में भारतीय जज की पुनर्नियुक्ति से भारत ने निश्चित तौर पर सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के बीच अपनी साख में वृद्धि की है। इसके अलावा वासेनर अरेंजमेंट में भारत के प्रवेश ने NSG में प्रवेश और भविष्य में UNSC की स्थायी सदस्यता को लेकर बड़ी उम्मीद भी जगाई है। यह देखना होगा कि इनमें प्रवेश को लेकर चीन के विरोध को भारत किस प्रकार संतुलित करता है।