अस्पतालों के लाईसेंस को समाप्त करने के स्थान पर मरीज़ केंद्रित नियमों का निर्माण स्वास्थ्य के क्षेत्र में कदाचार को रोकने का एक बेहतर उपाय है। मैक्स अस्पताल के लाईसेंस रद्द करने के संदर्भ में इस कथन पर विचार करें।
उत्तर :
उत्तर की रूप रेखा:
- भारतीय चिकित्सा प्रणाली में बढती लापरवाही का उल्लेख करते हुए प्रस्तावना लिखें।
- लाइसेंस रद्द करने के प्रभाव तथा सीमाओं का उल्लेख करें।
- मरीज केन्द्रित नियमों के निर्माण की आवश्यकता बताते हुए अपने सुझाव लिखें।
- निष्कर्ष लिखें।
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वर्तमान समय में भारत में चिकित्सा क्षेत्र में बढ़ती लापरवाही एक बड़ी समस्या के रूप में उभर रही है जिसका निदान किया जाना आज की आवश्यकता है। हाल ही में दिल्ली सरकार के द्वारा डेंगू से पीडि़त एक सात वर्षीय बच्चे को मृत घोषित करने के कारण मैक्स अस्पताल के लाईसेंस को रद्द करने का निर्णय अस्पतालों में कदाचार रोकने में सहायक हो सकता है, किन्तु भारतीय चिकित्सा प्रणाली में सुधार के लिये यह उपाय धारणीय नहीं है। इसे निम्न रूप में देखा जा सकता है:-
निर्णय का प्रभाव
- इससे बड़े अस्पतालों के प्रबंधन में आंतरिक गलतियों को नज़रअंदाज करने के प्रवृत्ति पर रोक लगेगी, जो कि भारत में डॉक्टरों की लापरवाही का एक बड़ा कारण है।
- एक अनुमान के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष पाँच लाख से भी अधिक लोगों की मृत्यु मेडिकल कदाचार के कारण होती है, जबकि शायद ही कभी डॉक्टरों अथवा अस्पताल को दोषी ठहराया गया हो। ऐसे में इस निर्णय से डॉक्टरों में लापरवाही बरतने पर दवाब बढ़ेगा और वह अधिक ध्यान से उपचार करेंगे।
किंतु, यह कदम चिकित्सा संबंधी कदाचार को रोकने का सर्वश्रेष्ठ उपाय नहीं है।
कारण
- यह आंतरिक प्रेरणा के स्थान पर डर की भावना पर आधारित है, जो कि एक अस्थाई भावना है।
- इसके अलावा यह प्रावधान गलती हो जाने की स्थिति में ही दंड का प्रावधान करती है, जबकि मूल ध्यान ऐसे प्रावधान के विकास पर दिया जाना चाहिये कि गलती ही न हो।
- भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र की अवसंरचना अत्यंत कमजोर है ऐसे में अस्पतालों का लाईसेंस रद्द करने पर मरीज़ों पर भी प्रभाव पड़ेगा। भारत में 70% चिकित्सा निजी क्षेत्र द्वारा की जाती है।
- अस्पताल प्रबंधन से बदले की भावना के कारण अथवा प्रतिस्पर्द्धा के कारण अन्य अस्पताल अथवा डॉक्टर जानबूझकर ऐसी घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं।
उपाय:
- सर्वश्रेष्ठ उपाय लोगों में उपचार हेतु नैतिक प्रेरणा का विकास तथा उचित क्रियान्वयन हेतु मरीज़ केंदित नीति का निर्माण आवश्यक है।
- नैतिक शिक्षा तथा कदाचार की स्थिति में सामाजिक बहिष्कार जैसी अवधारणाओं का प्रयोग डॉक्टरों में आंतरिक चेतना पैदा करने मे किया जा सकता है।
- एक ऐसी स्वास्थ्य नीति का निर्माण, जिसमें आरंभ में ही लापरवाही की संभावना को समाप्त कर दिया जाए, एक बेहतर उपाय है। उदाहरण के लिये कर्नाटक सरकार की स्वास्थ्य नीति से सबक लिया जा सकता है। इसमें अस्पतालों में पारदर्शिता के लिये सभी प्रकार के उपचारों के लिये मूल्य तालिका का प्रदर्शन, मरीज के चार्टर का नियमित निरीक्षण, गलती की स्थिति में त्वरित और प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली की व्यवस्था की गई है। इससे आरंभ में ही गलती की संभावना घटेगी और चिकित्सा संबंधी कदाचार में कमी आएगी।
अतः ‘उपचार से बेहतर निदान’ के सिद्धान्त के आधार पर अस्पतालों के लाईसेंस रद्द करने के स्थान पर मरीज केंद्रित नीतियों का निर्माण चिकित्सा के क्षेत्र में कदाचार रोकने का एक बेहतर उपाय है। किंतु सबसे बेहतर उपाय यह होगा कि डॉक्टरों में सेवाभाव की आंतरिक चेतना पैदा की जाए।