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प्रश्न :
भारत के संदर्भ में विश्व आर्थिक मंच द्वारा प्रकाशित वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट- 2017 पर विचार करें। इसमें सुधार हेतु उपाय सुझाएँ।
04 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- भारत की स्थिति को बताते हुए वैश्विक आर्थिक मंच द्वारा प्रकाशित वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट- 2017 पर विचार करें।
- स्पष्ट करें कि इसमें सुधार हेतु भारत द्वारा किन उपायों को अपनाया जाना चाहिए।
हाल ही में वैश्विक आर्थिक मंच द्वारा प्रकाशित वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट-2017 भारत में लैंगिक अंतराल के चिंताजनक स्तर को दर्शाती है। 144 देशों के लिये जारी की गई इस रिपोर्ट में पिछले वर्ष की तुलना में भारत की स्थिति 87 से बढ़कर 108 हो गई है। यह लैंगिक समानता के लिये किये गए भारत के प्रयासों पर एक सवाल खड़ा करता है।
इस रिपोर्ट में आर्थिक भागीदारी और अवसर, शैक्षणिक उपलब्धियां, स्वास्थ्य तथा उत्तरजीविता और राजनीतिक सशक्तीकरण के आधार पर लैंगिक अंतराल का निर्धारण किया गया है। राजनीतिक सशक्तिकरण में भारत को 15वां स्थान प्राप्त है जो इस दृष्टि से भारत में लैंगिक समानता को दर्शाता है। अन्य किंतु अन्य सभी क्षेत्रों में भारत का स्थान 100 से ऊपर है जो कि एक चिंताजनक स्थिति है। इन क्षेत्रों में सुधार कर लाकर लैंगिक अंतराल रिपोर्ट में भारत की स्थिति को बेहतर किया जा सकता है।
सूचकांक में सुधार के लिये महिलाओं की आर्थिक भागीदारी तथा अवसर को बढ़ाए जाने के लिये महिलाओं का कौशल संवर्धन तथा कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों में महिला आरक्षण को बढ़ावा दिया जा सकता है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना तथा स्वावलंबन जैसे कार्यक्रम इसमें सहायक हो सकते हैं।
उसी प्रकार शैक्षणिक उपलब्धियों को बढ़ावा देने के लिये बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, स्वयं-प्रभा योजना और उच्च शिक्षा में महिलाओं के आरक्षण तथा आर्थिक प्रोत्साहन को बढ़ावा दिया जा सकता है।
शिक्षा तथा आर्थिक सशक्तीकरण के साथ-साथ स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता विकास का एक महत्त्वपूर्ण आयाम है। इस क्षेत्र में सुविधाओं को बढ़ाने के लिये सबला योजना, एकीकृत बाल विकास योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना तथा प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना जैसे कार्यक्रम को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इसके अलावा गरीबी, कुपोषण तथा अवसंरचना से संबंधित समस्याओं का समाधान भी आवश्यक है।
किंतु इनसे सबसे महत्वपूर्ण यह है कि संपूर्ण भारत में पितृसत्तात्मक सोच में बदलाव लाया जाए ताकि समाज में महिलाओं की स्थिति बेहतर होने से उनका आत्मविश्वास बढे और वह सभी क्षेत्रों में अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पाएँ।
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