नेहरू की गुटनिरपेक्ष नीति पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान में उसकी प्रासंगिकता बताएँ
09 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा:
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समतावादी चेतना पर आधारित गुटनिरपेक्षता की नीति नेहरू की विदेश नीति का एक महत्त्वपूर्ण अंग थी। शीत युद्ध के दौरान लाई गई रणनीति विश्व के किसी भी गुट से तटस्थ रहते हुए विश्व को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने पर बल देती है। जवाहरलाल नेहरू के अलावा यूगोस्लाविया के जोसेफ टीटो, इंडोनेशिया के सुकर्णो तथा मिस्र के अब्दुल नासिर भी इस नीति के प्रमुख प्रतिपादकों में शामिल थे। गुटनिरपेक्ष नीति के प्रमुख तत्त्वों को निम्न रूप में देखा जा सकता है-
वर्तमान समय में गुटनिरपेक्ष नीति की प्रासंगिकता
गुटनिरपेक्ष नीति को लाए हुए 55 से भी अधिक वर्ष बीत चुके हैं किंतु अपनी प्रगतिशीलता एवं समतावादी अवधारणा के कारण यह नीति आज भी प्रासंगिक है। वर्तमान समय में अमेरिका तथा चीन विश्व की बड़ी शक्तियों के रूप में उभर रहे हैं और ये अपने हितों के लिये विश्व के देशों को अपने-अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में गुटनिरपेक्ष नीति से इनकी वर्चस्ववादी भावना को रोका जा सकता है। गुटनिरपेक्षता की नीति स्वतंत्र एवं निष्पक्ष विदेश नीति का समर्थन करती है। वर्तमान समय में फिलिस्तीन के मुद्दे पर अमेरिका के प्रस्ताव का विरोध करना भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को भी दर्शाता है।गुटनिरपेक्ष नीति संपूर्ण विश्व में स्वतंत्रता की भावना को बनाए रखने पर भी बल देती है। वर्तमान में विभिन्न देशों द्वारा फिलिस्तीन की स्वतंत्रता के मुद्दे पर एकजुट होना भी इस नीति की प्रासंगिकता को ही दर्शाता है। इसके अलावा, निरस्त्रीकरण तथा युद्ध के मामले में शांतिपूर्ण तरीके से समस्या के समाधान की नीति वैश्विक स्थिरता के लिये आज भी आवश्यक है। मौलिक अधिकारों पर बल दिये जाने के कारण रोहिंग्या तथा आतंकवाद से प्रभावित देशों के प्रवासियों से संबंधित समस्या का समाधान भी इस नीति के द्वारा किया जा सकता है।
स्पष्ट है कि अपनी प्रगतिशीलता के कारण गुटनिरपेक्षता की नीति न केवल आज प्रासंगिक है बल्कि या युगों-युगों तक प्रासंगिक होने का माद्दा रखती है।