21वीं सदी को प्रायः सूचना क्रांति तथा उभरती सामाजिक पूंजी के युग के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। भारत और पूरे विश्व में गैर-सरकारी संगठनों तथा स्वयं सहायता समूहों की संख्या में बढ़ोतरी हुई, साथ ही सामाजिक और साम्प्रदायिक संघर्ष की समस्याएँ, संसाधनों के वितरण को लेकर होने वाले विवाद, घुसपैठ, छात्र और राजनैतिक विरोध इत्यादि घटनाएँ चरम पर हैं। (a) वे कौन-से लोक व्यवस्था संबंधी मुद्दे/परिस्थितियाँ हैं जिनके तहत संबद्ध एजेंसियों द्वारा गैर सरकारी संगठनों, सामाजिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद को सूचीबद्ध किया जाए? (b) राज्य का सिविल सेवा अधिकारी होने के नाते वे कौन-से संरचनात्मक तंत्र होने चाहिये ताकि उपरोक्त संगठनों/समूहों/व्यक्तियों को, ‘सार्वजनिक व्यवस्था की स्थिति’ के पहले, उसके दौरान एवं उसके बाद शामिल किया जा सकता है? उपयुक्त तर्क दें।
25 Sep, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
उत्तर की रूपरेखा :
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वर्तमान सूचना प्रौद्योगिकी के युग में जहाँ नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार आया है वहीं संसाधनों के बँटवारें, साम्प्रदायिक झगड़ों, विद्यार्थियों व राजनैतिक आंदोलनों ने चुनौतियाँ भी उत्पन्न की हैं। इन चुनौतियों से निपटने में एनजीओ की सहभागिता एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। इसी परिप्रेक्ष्य में एनजीओ, सामाजिक संगठनों को निम्नलिखित सार्वजनिक व्यवस्था संबंधी मुद्दों/क्षेत्रों के समाधान हेतु शामिल किया जा सकता हैः
हालाँकि, एक अन्य दृष्टिकोण इन एजेंसियों के कम प्रयोग को संदर्भित करता है क्योंकि इन एजेंसियों के अपने छुपे हुए एजेंडा हो सकते हैं।