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प्रश्न :
सरकार और राजनीतिक मुद्दों की तुलना में सुशासन के सिद्धांतों और समस्याओं के प्रति बौद्धिक बहस अपेक्षाकृत नई है। लेकिन हमारे संविधान निर्माता दूरदर्शी थे, इसलिये अनुच्छेद 37 में उन्होंने विशेष रूप से कुछ "सिद्धांतों" की बात की जो देश की शासन व्यवस्था में आधारभूत होते हैं। संविधान में वर्णित शासन व्यवस्था के उन "आधारभूत सिद्धांतों" की चर्चा कीजिये।
19 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
हमारे संविधान निर्माता इस तथ्य के प्रति सचेत थे कि सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र के बिना मात्र राजनीतिक लोकतंत्र, अर्थात् पाँच साल में एक बार वोट देने का अधिकार अर्थहीन था। वे जानते थे कि सामाजिक और आर्थिक समानता के बगैर राजनीतिक समानता संभव नहीं थी। कपड़ा और मकान के बिना एक भूखे और अनपढ़ आदमी के लिये मतदान का अधिकार अर्थहीन है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई निर्णयों में नीति निदेशक सिद्धांतों के महत्त्व को रेखांकित किया है। इसने इसको संविधान का ‘अंतःकरण’ और संविधान के मूल के रूप में इन सिद्धांतों को सन्दर्भित किया है। संविधान के भाग-III द्वारा इन सिद्धांतों के लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रावधान किया गया है। ये असमानताओं और पक्षपात को हटाने के लिये "वितरणात्मक न्याय" सुनिश्चित करने के लिये और समाज के सदस्यों के बीच संपत्ति के एक निष्पक्ष आवंटन को हासिल करने के लिये है।
सुशासन के कुछ महत्त्वपूर्ण सिद्धांत हैं-
- कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार (अनुच्छेद 41), प्रारंभिक शैशवावस्था की देख-रेख, छः वर्ष से कम आयु के बालकों की शिक्षा का प्रावधान (अनुच्छेद 45)।
- स्वास्थ्य का अधिकार, अनुच्छेद 21 के ‘प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार’ में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा समाहित किया गया है।
- सुशासन हासिल करने के लिये इन सिद्धांतों को नीतियों को तैयार करते समय ध्यान में रखने के लिये उन्हें संबधित सरकारों को निर्देश के रूप में इनका प्रावधान किया गया है।
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