विभिन्न रिपोर्टों से यह साबित होता है कि भारत में उच्च शिक्षा की स्थिति काफी दयनीय एवं कमज़ोर है। उच्च शिक्षा की स्थिति को सुधारने के लिये सरकार के द्वारा कौन-से कदम उठाए जाने चाहियें ताकि भारत में भी उच्च शिक्षा को विदेशी शैक्षिक संस्थानों की शिक्षा के समान बनाया जा सके?
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- पृष्ठभूमि
- भारत में उच्च शिक्षा की कमज़ोर स्थिति के पीछे प्रमुख कारण
- भारत में उच्च शिक्षा के सुधार हेतु उपाय
- निष्कर्ष
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भारत में उच्च शिक्षा की स्थिति काफी कमज़ोर दशा में है, जिसके कारण भारत में कुशल मानव संसाधनों की बेहद कमी है। एक आँकड़े के मुताबिक देश के कुल इंजीनियरिग स्नातकों में से मात्र 10 प्रतिशत स्नातक ही बेहतर ढंग से प्रशिक्षित होते हैं। इसी प्रकार देश में उच्च शिक्षा की कमज़ोर स्थिति के कारण नवाचार एवं नवोन्मेष के मामले में भी भारत की स्थिति कमज़ोर बनी हुई है।
भारत में उच्च शिक्षा की कमज़ोर स्थिति के पीछे प्रमुख कारण-
- विश्वविद्यालयों की वार्षिक क्यूएस (QS) रैंकिंग में प्रथम 200 विश्वविद्यालयों में भारत के केवल एक या दो ही विश्वविद्यालय शामिल हो पाते हैं। इस तथ्य से पता चलता है कि भारत में विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा किस स्थिति में है।
- उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के बहुत सारे पद रिक्त हैं जिसके कारण विद्यार्थियों को समुचित शिक्षा की प्राप्ति नहीं हो पा रही है।
- पीएचडी आदि में दाखिलों की संख्या काफी कम होती जा रही है। इसके पीछे प्रमुख कारण यह है कि रिसर्च स्कॉलरों को पर्याप्त सुविधाएँ एवं प्रोत्साहन राशि प्राप्त नहीं होती है।
- योग्य अध्यापक एवं विद्यार्थी लगातार पश्चिमी देशों की ओर प्रवसन कर रहे हैं।
- उच्च शैक्षिक संस्थानों में अनुपयुक्त आधारभूत संरचना तथा शोध एवं विकास से संबंधित सुविधाओं का अभाव है।
- ख्यातिप्राप्त (Reputed) शैक्षिक संस्थानों में सामाजिक भेदभाव की घटनाएँ भी निम्न वर्ग के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को हतोत्साहित करती हैं।शैक्षिक संस्थानों में समुचित विनियामकीय (Regulatory) व्यवस्था का अभाव है।
- सबसे बढ़कर शिक्षण संस्थानों का राजनीतिकरण एक प्रमुख समस्या बनी हुई है।
भारत में उच्च शिक्षा की स्थिति को किस प्रकार सुधारा जा सकता है?
- शैक्षिक संस्थानों की आधारभूत सुविधाओं को सशक्त बनाया जाना चाहिये।
- मानक पाठ्य-पुस्तकों तक विद्यार्थियों की पहुँच को सुगम बनाया जाना चाहिये।
- विश्वविद्यालयों में शोध एवं विकास के लिये प्रयोगशालाओं की स्थापना की जानी चाहिये।
- पाठ्यक्रम का अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप पुनरीक्षण (Revision) किया जाना चाहिये।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को सशक्त किया जाना चाहिये, जैसा कि प्रोफेसर यशपाल समिति के द्वारा सिफारिश की गई है।
- उच्च शैक्षिक संस्थानों की स्थापना के लिये विदेशी निवेश को आकर्षित किया जाना चाहिये। साथ ही विदेशी संस्थानों को भारत में अपनी शाखा की स्थापना के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि भारत में उच्च शिक्षा की स्थिति काफी कमज़ोर दशा में है। उपर्युक्त उपायों पर अमल करके इस स्थिति को सुधारा जा सकता है।