भारत में तेज़ी से बढ़ता हुआ शहरीकरण विभिन्न समुदायों के बीच सामाजिक अशांति पैदा करने की क्षमता रखता है। क्या भारत का स्मार्ट सिटी मिशन इस सामाजिक अशांति को रोक सकता है? टिप्पणी कीजिये।
27 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाहमारे देश में आज़ादी के बाद शहरीकरण की प्रक्रिया बहुत तेज़ी से बढ़ी है। तेज़ी से बढ़ते इस शहरीकरण का बहुत बड़ा कारण औद्योगीकरण और आधुनिकीकरण है। लेकिन इस बढ़ते शहरीकरण से शहरी केंद्रों पर बहुआयामी प्रभाव पड़ रहा है।
शहरीकरण शहरों के आस-पास के संसाधनों पर भारी दबाव डाल रहा है। उचित आवंटन न होने के कारण, संसाधनों का अपव्यय हो रहा है। इससे समाज के विभिन्न वर्गों के बीच असमानता पैदा हो रही है। यह सामाजिक अशांति और अराजकता पैदा कर सकती है।
शहरीकरण अपने आप में मुद्दा नहीं है, लेकिन अनियोजित और तेजी से बढ़ता हुआ शहरीकरण सबसे बड़ा मुद्दा है। यह सामाजिक अस्थिरता, अशांति, हिंसा पैदा करने की क्षमता रखते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से अनियोजित प्रवास और बहुत कम बुनियादी सुविधाएँ सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभरी है। इसलिये सामाजिक अशांति को रोकने के लिये आधुनिक तकनीकों के उपयोग के साथ योजनाबद्ध शहरी केंद्र बनाने की ज़रूरत है।
हाल ही में भारत सरकार ने परिपूर्ण शहरी भारत बनाने के उद्देश्य से फ्लैगशिप परियोजना ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ शुरू की है। इस परियोजना के तहत सरकार को नागरिकों के लिये आधुनिक युग की सभी सुविधाएँ प्रदान करने का उद्देश्य है।
यह मिशन शहरी जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने और एक स्वच्छ और टिकाऊ पर्यावरण प्रदान करने के उद्देश्य के साथ उपलब्ध संपत्ति, संसाधनों और बुनियादी ढाँचे के कुशल उपयोग हेतु विशेष समाधान अपनाने के लिये 100 स्मार्ट शहरों का निर्माण करना चाहता है।
इस मिशन के माध्यम से साफ पानी, बिजली की आपूर्ति, स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, कुशल शहरी गतिशीलता और सार्वजनिक परिवहन, गरीब के लिये किफायती आवास जैसी बुनियादी सेवाओं को अधिक महत्त्व दिया जाएगा।
ई-गवर्नेंस और नागरिकों की भागीदारी, सुरक्षा और नागरिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा सुधार, टिकाऊ शहरी पर्यावरण जैसे पहलुओं में सुधार लाना भी इसका उद्देश्य है। इस मिशन को दृष्टिकोण के अनुसार लागू किया तो यह शहरी क्षेत्रों के कई सामाजिक मुद्दे को हल करने में काफी सफल हो सकता है।
लेकिन इस मिशन के बारे में यह आशंका है कि स्मार्ट सिटी की वर्तमान परिभाषा बुनियादी ढाँचे के निर्माण पर केंद्रित है, जो मुख्य रूप से नव उदारवादी कारोबारी माहौल का समर्थन करने के लिये विशेष आर्थिक क्षेत्र में सुधार करना है। इसलिये सरकार को शुद्ध आर्थिक उद्देश्य, नागरिकों के लिये अनुकूल समझौता नहीं करना चाहिये और उद्देश्यों के अनुसार इसे लागू करना चाहिये।