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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    केंद्र और राज्यों में एक साथ चुनाव आयोजित करवाने की संकल्पना के गुण और दोषों पर प्रकाश डालें। क्या भारत के संदर्भ में यह संकल्पना उपयुक्त है?

    02 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • एक साथ चुनाव करवाने की संकल्पना को स्पष्ट करें।
    • इससे संबंधित सकारात्मक और नकारात्मक पक्षों का उल्लेख करें।

    वर्तमान समय में चुनाव पर होने वाले व्यय को कम करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा केंद्र तथा राज्यों में एक साथ चुनाव संपन्न करवाने की बात की जा रही है। ज्ञातव्य है कि स्वतंत्रता के बाद के आरंभिक तीन चुनाव तक केंद्र तथा राज्यों में एक साथ चुनाव करवाए गए थे। किंतु राज्य सरकार के समय से पूर्व भंग होने से इस प्रवृत्ति का ह्रास हुआ। इससे संबंधित मुद्दे को निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है- 

    सकारात्मक पक्ष:

    • अलग-अलग समय में चुनाव करवाने से बड़ी मात्रा में धन का खर्च होता है। एक साथ चुनाव करवाने से धन की बचत होगी। इसका प्रयोग विकासात्मक कार्यों के लिये किया जा सकता है।
    • इसके अलावा विभिन्न पार्टियों द्वारा चुनाव में खर्च की जाने वाली राशि में भी कमी आएगी इससे राजनीतिक भ्रष्टाचार में कमी होगी।
    • अलग-अलग समय में चुनाव आयोजित करवाने से विभिन्न राजनीतिक दल की व्यस्तता में भी वृद्धि होती है। ज्ञातव्य है कि हमारे यहाँ सरकार का निर्माण भी राजनीतिक दलों के द्वारा ही होता है; ऐसे में इससे सरकार की गतिविधि भी प्रभावित होती है। एक साथ चुनाव करवाने से  चुनाव के बाद सत्ताधारी पार्टी अपना संपूर्ण ध्यान सरकार की गतिविधियों पर केंद्रित कर सकती है।
    • इसके अलावा ‘कोड ऑफ कंडक्ट’ की संकल्पना के कारण चुनाव के दौरान सरकारी नीतियाँ भी बाधित होती है एक साथ चुनाव कराने से इस समस्या का भी समाधान हो पाएगा।
    • इसके अलावा चुनाव में प्रयुक्त होने वाले भारी मात्रा में मानव-बल तथा अन्य संसाधनों  की बचत होगी।
    • लोग एक बार में ही वोट दे पाएंगे इससे समय की बचत होगी  इसका प्रयोग उत्पादक कार्यों में कर सकते हैं।

    इन्हीं कारणों से विधि आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट में केंद्र तथा राज्यों के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की थी।

    नकारात्मक पक्ष:

    • भारतीय मतदाता तत्कालीन विचारों से प्रभावित होते हैं, ऐसे में संभव है कि एक साथ मतदान किए जाने से वे दोनों स्थानों पर एक पार्टी को मत दे दें। इससे  केंद्र स्तर पर शक्तिशाली पार्टी को लाभ मिल सकता है।
    • एक साथ मत करवाने पर मतदाता केंद्र तथा राज्य में उलझकर अवांछित पार्टी को भी मात दे सकते हैं। इसके अलावा इन स्थानों पर मतों की अदला-बदली भी हो सकती है। इससे लोकतंत्र की अवधारणा प्रभावित होगी।यदि तत्कालीन रुझान के कारण केंद्र तथा अधिकांश राज्यों में एक ही दल की सरकार बनती है तो उस दल के द्वारा तानाशाही का प्रयास किया जा सकता है।
    • इसके अलावा विशेष परिस्थिति में यदि  लोकसभा अथवा विधानसभा समय से पूर्व भंग हो जाती है तो एक साथ चुनाव करवाने की संकल्पना अव्यावहारिक हो सकती है।

    स्पष्ट है कि एक साथ चुनाव करवाने से चुनावी खर्च में कमी लाई जा सकती है तथा सरकार को  बढ़ाया जा सकता है। किंतु लोकतंत्र तथा संघीय ढाँचे की कीमत पर ऐसा करना उचित नहीं होगा। बेहतर यह होगा कि केंद्र तथा सभी राज्य आपस में मिलकर लोकतांत्रिक तरीके से इस विषय पर निर्णय लें, ताकि लोकतंत्र की सीमा में एक साथ चुनाव करवाने की अवधारणा को व्यावहारिक ढंग से लागू किया जा सके।

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