करूणा और लोक सेवा के प्रति समर्पण भाव जैसे सद्गुण लोक सेवा में किस प्रकार प्रदर्शित होते हैं? उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिये।
31 Mar, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नकरूणा वह भावना है जो कमजोर वर्ग या व्यक्तियों की स्थिति को समझने तथा उनके प्रति समानुभूतिक चिंता रखने से उत्पन्न होती है। यह भावना पीड़ितों को कष्ट मुक्त कराने में सहायता के लिये प्रेरित करती है। एक लोक सेवक के भीतर करूणा परोपकार और समाज के अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुँचाने की भावना का विकास करती है। तमिलनाडु में जन्मे तथा ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित पूर्व प्रशासनिक सेवा अधिकारी एस.आर. शंकरन का उदाहरण यहाँ लिया जा सकता है। एस.आर. शंकरन ने बंधुआ मजदूरी के उन्मूलन में बड़ी भूमिका निभाई थी। आंध्र प्रदेश में नक्सली हिंसा का खात्मा हो या ‘बेजवाडा विल्सन’ के साथ मिलकर ‘मैला ढ़ोने’ की प्रथा के उन्मूलन की दिशा में सार्थक योगदान, एस.आर. शंकरन ने सदैव वंचितों के उत्थान के लिये अथक प्रयास किये। उन्होंने शादी नहीं कि क्योंकि वो पूरा वक्त समाज को देना चाहते थे। उन्होंने सदैव अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा आर्थिक रूप से वंचित लोगों की भलाई के लिये व्यय किया।
इसी प्रकार, यदि किसी लोक सेवक में लोक सेवा के प्रति समर्पण की भावना है तो उसमें निम्नलिखित लक्षण दिखाई देंगे-
1. अपने कार्य को महज एक नौकरी समझकर करने की अपेक्षा एक लोक सेवा का मंच समझ उत्साहपूर्वक कार्य करना।
2. वंचित वर्गों की सहायता में गहरा संतोष महसूस करना।
3. यदि कोई जरूरतमंद व्यक्ति सरकारी सेवाएँ पाने के लिये औपचारिकताएँ पूरी नहीं कर पा रहा है तो आगे बढ़कर उसकी सहायता करना।
लोक सेवा के प्रति समर्पण की भावना का एक उदाहरण बिहार कैडर के आई.पी.एस. शिवदीप वामन लांडे का लिया जा सकता है। उनको अपराधियों को गिरफ्तार करने, फार्मास्यूटिकल माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने तथा महिलाओं की सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण प्रयास करने के लिये जाना जाता है। वो अपनी तनख्वाह का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा गरीब लड़कियों की शादी और गरीबों के लिये छात्रावास बनाने जैसे सामाजिक कार्यों में खर्च करते हैं। वे छेड़खानी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करते हैं और सदैव लोगों से मिलने के लिये उपलब्ध रहते हैं। यही कारण है कि जब उनका स्थानांतरण पटना से अररिया किया गया तो इसके विरोध में जनता ने सड़कों पर प्रदर्शन किया।