क्या आप मानते हैं कि राजनीति ने हमारे जीवन और हमारी सोच को दूषित किया है? अपना मत तर्क सहित प्रकट करें।
06 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नवर्तमान समय में एक सामान्य अवधारणा है कि राजनीति में सर्वत्र गंदगी फैली हुई है और इसका कुप्रभाव आमलोगों के जीवन और सोच पर भी पड़ा है। दुर्भाग्य से यह कथन सत्य है, किंतु यदि हम तथ्यों का संपूर्ण विश्लेषण करते हैं तो पाते हैं कि महज राजनेता और राजनीति को दोषी ठहराना मुद्दे का सरलीकरण होगा।
निश्चय ही आज राजनीति में सर्वत्र अनैतिकता का बोलबाला है। बड़े-बड़े घोटालों ने इस अवधारणा को बल प्रदान किया है कि राजनीति एक पंचवर्षीय व्यवसाय है। 2जी, कॉमन वेल्थ, कोल ब्लाक आदि घोटालों ने लोगों यह सोचने पर मजबूर किया है कि मंत्री और राजनेता सफेद कपड़ों वाले लुटरों के समान हैं। इसका कुप्रभाव हमारे जीवन और सोच को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करता है। लोगों ने भ्रष्टाचार को जीवन के एक अनिवार्य अंग के रूप में स्वीकार कर लिया है। लोगों में एक आम धारणा घर करती जा रही है कि काम करने के लिये पैसे लो और काम करवाने के लिये पैसे दो।
इतना ही नहीं आज राजनीति में भाई-भतीजावाद व परिवारवाद भी पहले से कहीं अधिक है। फिर राजनीति में जाति व धर्म का बोलवाला भी अत्यधिक है। इन सबका प्रभाव हम सब अपने जीवन देखते व अनुभव करते हैं।
परंतु केवल राजनेता व राजनीति को दोष देना उचित नहीं है क्योंकि राजनेता व राजनीति की उत्पत्ति भी तो समाज से ही होती है, जैसा समाज होगा वैसी ही राजनीति होगी। समाज व राजनीति दोनों एक दूसरे को प्रभावित करते हैं और एक दूसरे से प्रभावित होते हैं। अतः समाज भी समान रूप से दोषी है।
आमलोगों में उपभोक्तावाद के बढ़ते प्रसार ने भौतिक सुविधाओं के लिये कोई भी कृत्य करने के लिये प्रेरित किया है, जिससे व्यक्ति प्रायः अनैतिक कार्यों में लिप्त हो जाता है। यह समाज की कमी है कि भौतिकवाद को नैतिकता से अधिक महत्त्व दिया जा रहा है और इसका प्रभाव राजनीति में भी स्पष्ट रूप से दिखता है।