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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    निम्नलिखित पारिभाषित शब्दों के बीच विभेदन करेंः
    (i) अंतःप्रज्ञा (Intuition) और अंतरात्मा (Conscience)
    (ii) नैतिक कृत्य (Ethical Act) और विधिसम्मत कृत्य (Legal Act)
    (iii) प्रतिबद्धता (Commitment) और अध्यवसाय (Perseverance)

    07 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    (i) अंतःप्रज्ञा: किसी विषय को बिना तर्क-शक्ति के प्रयोग के सहज रूप से समझने की शक्ति अंतःप्रज्ञा कहलाती है। किसी आकस्मिक घटना के घटने से पूर्व या अचानक किसी व्यक्ति के साथ अंतर्क्रिया करते हुए हमारे अंतर्मन में सकारात्मक या नकारात्मक भाव अंतःप्रज्ञा से ही आते हैं।

    अंतरात्माः उचित और अनुचित के मध्य विभेद की नैतिक शक्ति जो व्यक्ति के व्यवहार को निर्धारित करती है या दिशा देती है, उसे अंतरात्मा के रूप में देखा जाता है। बटलर के अनुसार अंतरात्मा को दो पक्ष हैं- ज्ञानात्मक पक्ष, जो बताता है कि किसी विशिष्ट स्थिति में कौन-सा नियम या कर्म नैतिक है और कौन-सा अनैतिक। दूसरा, अधिकारात्मक पक्ष जो व्यक्ति पर दबाव बनाता है कि वह अंतरात्मा के निर्णय को स्वीकार करे और इसी के अनुरूप आचरण करे।

    (ii) नैतिक कृत्यः ऐसा कृत्य जो समाज द्वारा स्वीकृत नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों के अनुरूप होता है, वह नैतिक कृत्य कहलाता है। जैसेः भारतीय संस्कृति में विवाह के पश्चात् ही स्त्री द्वारा संतान उत्पन्न करना नैतिक तौर पर उचित माना जाता है।

    विधि-सम्मत कृत्यः ऐसा कृत्य जो किसी देश के संविधान व कानूनों के आलोक में उचित हो, विधि-सम्मत कृत्य कहलाता है। जैसेः बालिग होने के पश्चात् किसी भी धर्म या जाति का होने के बावजूद लड़की और लड़का आपसी सहमति से शादी कर सकते हैं। 

    यह बिलकुल भी आवश्यक नहीं है कि जो कृत्य नैतिक हो वह अनिवार्यतः विधि-सम्मत भी हो या जो कार्य विधि-सम्मत हो वह सभी समाजों में नैतिक समझा जाता हो। जैसे- मुस्लिम समाज में तीन तलाक की प्रथा नैतिक समझी जाती है परंतु यह संविधान या विधि-सम्मत नहीं है; वहीं कानूनी तौर पर ‘लिव-इन रिलेशन्स’ को वैध समझा जाता है परंतु कई समाजों में इसे अनैतिक समझा जाता है। 

    (iii) प्रतिबद्धताः प्रतिबद्धता किसी व्यक्ति का आंतरिक गुण होता है। व्यक्ति मूल्यों, विचारधारा या किसी कार्य के प्रति प्रतिबद्ध हो सकता है। उदाहरण के तौर पर एक लोकसेवक को वंचित समूहों को मुख्यधारा में लाने के लिये सामाजिक न्याय व कल्याणकारी उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्ध होना चाहिये।

    अध्यवसायः अध्यवसाय से तात्पर्य है- किसी दूरगामी तथा कठिन उद्देश्य की प्राप्ति होने तक धैर्य तथा अांतरिक प्रेरणा बनाए रखना। बीच-बीच में आने वाली चुनौतियों तथा बाधाओं से हतोत्साहित करने वाली परिस्थितियों में अपनी आशावादी मानसिकता के साथ संघर्ष करते रहना।

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