आप देश की राजधानी से बहुत दूर एक छोटे-से कस्बे में रहते हैं। देश की जनसंख्या के हिसाब से तो आपका समुदाय ‘अल्पसंख्यकों’ के अंतर्गत आता है किंतु आपके कस्बे में आपका समुदाय कस्बे की कुल जनसंख्या का 80 प्रतिशत है। आपके कस्बे की साक्षरता दर काफी कम है क्योंकि आपके समुदाय के लोग आधुनिक पढ़ाई को बहुत अधिक महत्त्व नहीं देते हैं। आप थोड़े प्रगतिशील विचारों वाले पढ़े-लिखे इंसान हैं। आपने प्रेम-विवाह किया है और आपकी पत्नी कस्बे के ‘अल्पसंख्यक’ समुदाय से संबंध रखती हैं। एक दिन अचानक कस्बे में दंगे भड़क जाते हैं। दरअसल किसी व्यक्तिगत मुद्दे को लेकर कस्बे में आपके समुदाय के सबसे बड़े व सम्मानित धार्मिक व्यक्ति की दूसरे समुदाय के कुछ लोगों द्वारा हत्या कर दी जाती है; जिससे पूरा कस्बा दंगे की चपेट में आ जाता है। चूँकि आपका समुदाय आपके कस्बे में बहुसंख्यक है इसलिये स्वाभाविक है कि दंगे के नियम भी आपके समुदाय के कुछ कट्टर लोग तय करते हैं। वे तीन तरह के ‘आदेश’ जारी करते हैं- 1. सभी अल्पसंख्यकों को मार दिया जाए। 2. अपने समुदाय के जिस भी लड़के/लड़की ने दूसरे समुदाय की लड़के या लड़की से शादी की है, उनमें से भी उस ‘दूसरे’ को मार दिया जाए। 3. अपने समुदाय का जो भी व्यक्ति इस ‘पवित्र’ कार्य में सहयोग न करे और दूसरे समुदाय के लोगों की सहायता करे, उसे भी गद्दार समझकर मार दिया जाए। आपके पड़ोस में कुछ दूसरे समुदाय के लोग रहते हैं जिनके साथ आपका वर्षों से बहुत अच्छा व्यवहार रहा है। वे सभी अत्यन्त भयभीत और आतंकित होकर आपके पास आते हैं। आपके पड़ोस में कुछ परिवार आपके समुदाय के भी हैं जिनमें कुछ अनपढ़-शरारती तत्त्व हैं जो अच्छी तरह जानते हैं कि आपकी पत्नी भी दूसरे समुदाय की है। ऐसी जटिल परिस्थिति में आप क्या कदम उठाएंगे? स्मरण रहे कि आपके कस्बे का देश के दूरदराज इलाके में स्थित होने व कस्बे की पुलिस आदि में अधिकतर लोग आपके समुदाय के ही होने से आपको बाहरी मदद मिलने की संभावना भी काफी कम है।
10 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नयहाँ स्थिति बहुत विकट है। यहाँ एक घटना-विशेष को धर्म का रंग देकर पूरे कस्बे को दंगे की चपेट में ले लिया गया है तथा दूसरा यह कि इस दुर्भाग्यपूर्ण ‘प्रतिक्रिया’ का नेतृत्व कट्टरपंथी लोगों के हाथों में है। मुझे मेरी पत्नी, पड़ोसी एवं स्वयं के साथ-साथ ‘मानवता’ की रक्षा भी करनी है। ऐसी परिस्थितियों में मैं निम्नलिखित कदम उठाऊँगा-
(i) मैं अपने समुदाय के नेता व अन्य प्रभावशील लोगों, जो थोड़े उदार प्रकृति के हों, से फोन पर या मिलकर बात करूँगा और उन्हें समझाऊंगा कि हमें इन पागलपन भरे ‘आदेशों’ को रोकना होगा क्योंकि ये गलत व गैर-कानूनी तो हैं हीं, मानवता के विरुद्ध भी हैं तथा दूसरी बात यह भी समझाऊंगा कि कस्बे में बेशक हम ‘बहुसंख्यक’ हैं किंतु देश में ‘अल्पसंख्यक’ हैं। यदि अपने कस्बे में आज हमनें दूसरे समुदाय के लोगों को मारा तो देशभर में अपने समुदाय के लोग असुरक्षित हो जाएँगे और संभव है फिर इससे कहीं बड़ा नरसंहार हों।
(ii) मैं पुलिस से भी लगातार संपर्क करने तथा सुरक्षा देने का निवेदन करूँगा। संभव है कि पुलिस में दूसरे समुदाय के भी जो अधिकारी हों वे लगातार स्थिति संभालने का प्रयत्न कर रहे हों और मेरी मदद कर दें।
(iii) मैं अपने पड़ोस के दूसरे समुदाय के सभी लोगों को एक स्थान पर इक्ट्ठा होने को कहूँगा तथा उनमें जो युवा और ताकतवर होंगे, उनको हथियार सहित सबसे आगे रखते हुए किसी बाहरी सहायता के आने का इंतजार करने को कहूँगा। हथियार बंद युवाओं और अन्य ताकतवर लोगों को देखकर मेरे समुदाय के कट्टर लोग भी हमला करने से पहले तैयारी करना चाहेंगे और स्थिति को थोड़े समय के लिये टाला जा सकेगा।
(iv) यदि स्थितियाँ किसी भी तरह ठीक न रहें तो मानवता की रक्षा के लिये ‘अल्पसंख्यकों’ की सुरक्षा के लिये उनके साथ मैं अपने समुदाय के कट्टरपंथियों से लडूँगा और निर्दोषों की जान बचाने का प्रयास करूँगा, चाहे फिर इसका परिणाम मेरी कितनी ही बड़ी व्यक्तिगत क्षति ही क्यों न हो जाये।