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प्रश्न :
आप एक बेहद ईमानदार तथा सिद्धांतवादी व्यक्ति हैं। एक दिन आपको सूचना मिलती है कि आपके छोटे भाई को एक सड़क दुर्घटना में गंभीर चोटें आई हैं और वह अस्पताल में भर्ती है। उसे खून की सख्त ज़रूरत है लेकिन उसका ब्लड ग्रुप ‘ओ निगेटिव’ (O-) है जो बहुत दुर्लभ होने के कारण अस्पताल के ब्लड बैंक में उपलब्ध नहीं है। संयोग से आपका ब्लड ग्रुप ही ‘ओ निगेटिव’ है। चूँकि अत्यधिक आपातकालीन स्थिति है, ऐसे में आप पास से गुजर रहे एक पड़ोसी की मोटरसाइकिल लेते हैं और उसे तेज़ गति से चलाते हुए अस्पताल पहुँचने की कोशिश करते हैं इस ज़ल्दबाजी में आप बिना हेल्मेट पहने ही मोटरसाइकिल चला रहे होते हैं और आपका ड्राइविंग लाइसेंस भी घर पर ही रह जाता है। रास्ते में चौराहे पर एक ट्रैफिक पुलिस का कांस्टेबल आपको रोक लेता है। तेज़ गति से मोटरसाकिल चलाने, हेल्मेट न पहनने तथा ड्राइविंग लाइसेंस न होने के कारण वह आपकी मोटरसाइकिल एक तरफ खड़ी करवाकर आपका चालान बनाने लगता है। आप उसे पूरी घटना बताकर विनती करते हैं कि यह सब जल्दबाजी में हुआ है और स्थिति गंभीर है इसलिये वह आपको जाने दे। परंतु, कांस्टेबल आपके तर्कों से सहमत नहीं होता। आपको मालूम है कि आप गलती पर हैं। कांस्टेबल ने यह भी कह दिया कि अब वह बिना हेल्मेट आपको मोटरसाइकिल लेकर आगे जान नहीं देगा। परंतु कांस्टेबल की बातों से आपको लगता है कि यदि इसे रिश्वत दे दी जाती तो वह आपको जाने देगा। इसी दौरान अस्पताल से दोबार फोन आ जाता है कि आप जल्दी पहुँचें आपके भाई की स्थिति जटिल होती जा रही है। ऐसी स्थिति में आप क्या कदम उठाएंगे?
18 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
यहाँ स्थिति जटिल है तथा त्वरित निर्णय लेना बहुत जरूरी है। एक तरफ छोटे भाई के जीवन पर संकट मंडरा रहा है तो दूसरी ओर मेरे जीवनभर की पूंजी-मेरी ईमानदारी और मेरे नैतिक सिद्धांत, जो रिश्वत देने को सरासर अनुचित मानते हैं, को तिलाँजलि देना है।
ऐसी स्थिति में मेरे समक्ष दो प्रकार विकल्प उपस्थित हैं-(i) मैं अपने सिद्धांतों से समझौता कर लूँ और कांस्टेबल को रिश्वत की पेशकश कर दूँ। रिश्वत लेकर वह मुझे शीघ्रता से जाने दे सकता है और अस्पताल में जल्दी से पहुँचकर मैं अपने छोटे भाई की जान बचा सकता हूँ।
(ii) मैं अपने सिद्धांतों पर अडिग रहूँ। कांस्टेबल को रिश्वत न दूँ और उसे मोटरसाइकिल चालान करने दूँ। इसके पश्चात् ऑटो या कैब लेकर अस्पताल जाऊँ। इसमें सिद्धांतों की रक्षा तो हो जाएगी लेकिन थोड़ा अतिरिक्त वक्त लग सकता है।इन दोनों विकल्पों में से मैं दूसरे विकल्प को ही चुनूगाँ क्योंकि-
- रिश्वत लेना एवं देना दोनों अनैतिक एवं अवैध कृत्य हैं। कांस्टेबल ने प्रत्यक्ष तौर पर रिश्वत नहीं मांगी है। यह भी हो सकता है कि मुझे जो प्रतीत हुआ हो उसके विपरीत कांस्टेबल का चरित्र हो। ऐसी स्थिति में वह मेरे खिलाफ ‘रिश्वत की पेशकश’ करने के जुर्म में कार्रवाई भी कर सकता है।
- पहले विकल्प में यदि मुझे रिश्वत देने के बाद मोटरसाइकिल मिल भी जाती तो बिना हेलमेट पहने मोटरसाइकिल चलाना स्वयं की जान को खतरे में डालना भी होता। यहाँ एक ‘जीवन’ की रक्षा के लिये दूसरे ‘जीवन’ को खतरे में डालना उचित नहीं जान पड़ता।
- रिश्वत देने की स्थिति में मुझे सारी उम्र आत्मग्लानि का बोध रहता।
- गांधी जी ने भी कहा है कि ‘साध्य’ के साथ-साथ ‘साधन’ की पवित्रता भी आवश्यक होती है।
यह संभव है कि दूसरे विकल्प में थोड़ा अतिरिक्त वक्त लग सकता था किंतु घटना के दौरान मैं अस्पताल के चिकित्सकों से बात करता रहता और उन्हें मेरे पहुँचने तक अतिरिक्त प्रयास करने का निवेदन करता। फिर, कांस्टेबल का नाम व चौकी की जानकारी लेकर, मोटरसाइकिल की चाबी कांस्टेबल को सौंप किसी ऑटो या कैब से जल्दी-से-जल्दी अस्पताल पहुँचता।
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