"जब कोई व्यक्ति ठीक काम करता है, तो उसे पता तक नहीं चलता कि वह क्या कर रहा है, पर गलत काम करते समय उसे हर समय यह ख्याल रहता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत है।" क्या आप इस कथन से सहमत हैं? उदाहरण के साथ स्पष्ट करें।
20 Apr, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नएक कहावत है- ‘यदि कोई व्यक्ति सदैव सत्य बोलता है तो उसे अपनी कही किसी बात को याद रखने की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन, अपनी कही हर उस बात को याद रखना किसी व्यक्ति की मजबूरी होती है, जो झूठी हों।’ इसी प्रकार जब हम अपनी दिनचर्या में उचित, सामाजिक परम्पराओं के अनुकूल तथा वैध कार्य करते हैं तो हमें उस संबंध में ज्यादा सोचने-विचारने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि सही, उचित और वैध कृत्य करने से मानसिक संवेग बहुत अधिक उद्वेलित नहीं होते; लेकिन हाँ, यदि हम सीमाओं से परे जाकर कोई बहुत अच्छा कार्य करते हैं तब अवश्य हम अति उत्साहित होते हैं, उल्लासित होते हैं तथा उसकी स्मृति लंबे समय तक हमारे मस्तिष्क में रहती है।
किंतु, जब भी कोई व्यक्ति गलत, अवैध, अनुचित या नैतिक सिद्धांतों के विपरीत कार्य करता है तब उसकी चेतना हमेशा सजग रहते हुए उसे इस तथ्य का एहसास अवश्य कराती रहती है कि वह गलत कर रहा है। व्यक्ति की स्वाभाविक प्रकृति ऐसे कृत्य के दौरान उद्वेलित होती है।
यहाँ एक बात को स्मरण रखना आवश्यक है। ये प्रतिक्रियाएँ एक सामान्य मानसिक स्थिति वाले व्यक्ति की हैं जो ‘भावनात्मक प्रज्ञता’ भी रखता है। क्योंकि, अपने संवेगों को पहचानना एवं समझना, दूसरे के संवेगों केा पहचानना तथा अपने संवेगों पर नियंत्रण रखने जैसे गुण एक ‘भावनात्मक प्रज्ञता’ से युक्त व्यक्ति में ही होते हैं।
प्रश्न में कहे गए कथन को एक उदाहरण के माध्यम से स्पष्ट करने का प्रयास करते हैं-
एक व्यक्ति बहुत दयालु प्रकृति का है। वह जब भी किसी भूखे या जरूरतमंद को देखता है तो उसको खाना खिलाने या उसकी मदद करने में कभी संकोच नहीं करता है। यह सब उसकी दिनचर्या में स्वाभाविक तौर पर घटता है। लेकिन उस व्यक्ति की कुछ आर्थिक सीमाएँ हैं। कई बार जब उसके पास किसी की मदद के लिये पैसे नहीं होते, तब वह नजदीक के एक मंदिर से चढ़ावे में आए कुछ रुपये चुरा लेता है। उस व्यक्ति को स्वाभाविक तौर पर उसके द्वारा किये जा रहे अच्छे कार्यों की अपेक्षा इस अनुचित और गलत कृत्य का सदैव स्मरण रहता है। उसकी स्मृति में सदैव उसके गलत कार्यों की मौजूदगी उसे उद्वेलित करती रहती है।