विजय सिंह एक बड़े कॉर्पोरेट अस्पताल के प्रबंधन विभाग में उप-चिकित्सा अधीक्षक हैं। विजय सिंह बहुत ही सुलझे हुए, ईमानदार और सत्यनिष्ठ व्यक्ति हैं। वे हमेशा खुश रहते हैं तथा परिवार एवं कार्य को संतुलित रखना पसंद करते हैं। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक विजय सिंह के प्रति थोड़ा रूखा-सा व्यवहार रखते हैं। विजय सिंह भी उनके सामने बहुत सहज महसूस नहीं करते हैं। अस्पताल में एक अन्य उप-चिकित्सा अधीक्षक कैलाश भी है। कैलाश अपनी योग्यता एवं अनुभव में तो विजय सिंह से कम है परंतु वह चिकित्सा अधीक्षक का बहुत करीबी है। चिकित्सा अधीक्षक कैलाश को हमेशा विशेष तवज़्जो देता है, जिससे पूरा अस्पताल वाकिफ़ है। कुछ समय से विजय सिंह को चिकित्सा अधीक्षक ‘अवकाश’ लेने की अनुमति नहीं दे रहा जबकि कैलाश को जब भी अवकाश की ज़रूरत होती है, उसे तुरंत अनुमति मिल जाती है। अवकाश न मिलने के चलते विजय सिंह के कई पारिवारिक कार्य भी अटके पड़े हैं। इसी बीच एक और घटना घटती है। विजय सिंह एक बहुत महत्त्वपूर्ण तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिये चयनित हो जाते हैं। इस कार्यक्रम के लिये उन्होंने कई हज़ार रुपए शुल्क भी भरा था, लेकिन चिकित्सा अधीक्षक उनको तीन दिन की छुट्टियाँ देने के इंकार कर देते हैं। विजय सिंह उस प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिये बहुत उत्साहित थे। वह कार्यक्रम उनके करियर के लिये बहुत लाभकारी होता। दूसरी ओर, इसी दौरान चिकित्सा अधीक्षक द्वारा कैलाश को एक प्रतिष्ठित संस्थान के पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में जाने की अनुमति दी जाती है तथा चिकित्सा अधीक्षक की अनुशंसा पर उस कार्यक्रम की फीस भी अस्पताल की तरफ से भरी जाती है। इस घटना से विजय सिंह को बहुत निराशा होती है। कुछ दिनों बाद विजय सिंह को कुछ विश्वस्त सूत्रों से पता चलता है कि अस्पताल का ‘बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स’ चिकित्सा अधीक्षक की पदोन्नति करने वाला है तथा चिकित्सा अधीक्षक चाहते हैं कि कैलाश उनकी वर्तमान जगह ले। इसलिये अधीक्षक लगातार विजय सिंह को हतोत्साहित व कैलाश को प्रोत्साहित कर रहे थे ताकि विजय सिंह नौकरी छोड़ दें और कैलाश को पदोन्नति के लिये कोई दिक्कत न हो। यह अस्पताल विजय के घर के नज़दीक है तथा प्रतिष्ठित भी। घर के नज़दीक होने से विजय सिंह को एक फायदा यह भी होता है कि वह अपने वृद्ध माता-पिता की देखभाल भी कर पाते हैं। साथ ही विजय सिंह को वेतन भी अच्छा मिलता है। लेकिन विजय सिंह को अपने साथ हो रहे इस भेदभाव से गहरी आंतरिक पीड़ा है। उन्हें यह अपने आत्मसम्मान के विरुद्ध भी लगता है। 1. इस केस स्टडी में निहित मुद्दों को स्पष्ट करें। 2. यदि आप विजय सिंह के स्थान पर होते तो क्या करते?
24 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न1. इस केस स्टडी में निम्नलिखित मुद्दे निहित प्रतीत होते हैं-
(i) चिकित्सा अधीक्षक में व्यावसायिक नैतिकता का अभाव। उनमें कनिष्ठों के प्रति पक्षपातरहित व्यवहार, कनिष्ठों को सहज महसूस कराने तथा उन्हें आगे बढ़ने के लिये समान अवसर उपलब्ध कराने जैसे गुणों का अभाव परिलक्षित होता है।
(ii) अस्पताल की ‘कार्य-संस्कृति’ में ‘योग्यता को सम्मान देने’ तथा ‘निष्पक्षता’ जैसे मूल्यों का अभाव दिखता है।
(iii) विजय सिंह की दुविधा-वह अपने साथ हो रहे भेदभाव से उत्पन्न आंतरिक पीड़ा व आत्मसम्मान को पहुँच रही ठेस के खिलाफ आवाज उठाए या वर्तमान सुविधाओं एवं व्यक्तिगत हितों को देखते हुए हालातों से समझौता कर ले।
2. यदि मैं विजय सिंह के स्थान पर होता तब मेरे सामने दो प्रकार के विकल्प होते-
(i) मेरी व्यक्तिगत राय यह है कि एक सत्यनिष्ठ एवं ईमानदार व्यक्ति भोजन के बगैर कुछ समय तक सहज रह सकता है, लेकिन आत्मसम्मान को दाँव पर लगाना उसे गवारा नहीं होता। मैं अस्पताल की ‘ग्रीवेंश रीड्रैशल सेल’ के समक्ष अपनी समस्याओं एवं आपत्तियों को लाता। मैं सारे ‘भेदभावों’ के सुबूत पेश करता। साथ ही, मैं कुछ अन्य अच्छे अस्पतालों में नौकरी के लिये आवेदन करता, ताकि यदि अस्पताल से मुझे निकाला भी जाए तो मेरे पास अन्य अवसर उपलब्ध हों। लेकिन, मेरे इस कदम से दो प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं- पहली, यह संभव है कि अस्पताल की ‘सेल’ चिकित्सा अधिकारी को चेतावनी देकर छोड़ दे, ऐसे में अब मेरे लिये अपने ‘बॉस’ के साथ काम करना बहुत ही कठिन हो जाता। दूसरा, वह चिकित्सा अधीक्षक अन्य अस्पतालों में भी मेरे ‘अवसरों’ को प्रभावित कर सकता है।
(ii) मैं शांत रहते हुए अन्य अच्छे अस्पतालों में नौकरी के लिये आवेदन करूँ। चूँकि चिकित्सा अधीक्षक भी चाहते हैं कि कैलाश की पदोन्नति के रास्ते से मैं हट जाऊँ, इसलिये वे अन्य अस्पतालों में मेरे संदर्भ में अच्छी अनुशंसा (Recommendation) करेंगे।
इसके पश्चात् जब दूसरे अस्पताल में मेरी नौकरी सुनिश्चित हो जाए तब अपने अस्पताल में इस्तीफा देते हुए इस्तीफे के कारणों में विस्तार से अन्य घटनाओं, भेदभावों एवं तथ्यों का जिक्र करूँ, ताकि अस्पताल के उच्च प्रबंधन को वस्तुस्थिति की स्पष्ट समझ हो जाए। इससे चिकित्सा अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई होने के साथ-साथ इस बात की भी संभावना रहेगी कि अस्पताल प्रबंधन अपनी कार्य-संस्कृति में उचित बदलाव लाए, ताकि भविष्य में किसी अन्य कर्मचारी के साथ ऐसा न हो।
मैं उपरोक्त दोनों विकल्पों में निश्चित तौर पर दूसरा विकल्प चुनूँगा क्योंकि इसी से मेरे सभी प्रकार के हित सध रहे हैं।