ऐसा अक्सर कहा जाता है कि किसी व्यक्ति को बिना प्रतिफल की कामना के कर्त्तव्यपरायणता के साथ अपना कर्तव्य निभाना चाहिये लेकिन सामान्य व्यवहार में गैर-निष्पादनकारी कर्मचारी को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है और बेहतर निष्पादनकारी कर्मचारी को सम्मानित दृष्टि से देखा जाता है। उक्त कथनों के मध्य आप किस प्रकार सामंजस्य स्थापित करेंगे?
26 Sep, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
उत्तर की रूपरेखा:
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कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति से यह अपेक्षा रखी जाती है कि वह अत्यंत ईमानदारी और सच्चाई के साथ अपने कार्यों को पूर्ण करे। परिणाम के साथ किसी प्रकार का लगाव, कार्य के दौरान फोकस और दक्षता को नुकसान पहुँचा सकता है। यह परिणाम निरपेक्ष नैतिकता का मूल सिद्धांत है।
अच्छा प्रदर्शन न करने वाले कर्मचारी को सज़ा और उच्च प्रदर्शन करने वाले को पुरस्कृत करना, पुरस्कार और दंड की नीति के दो भाग हैं। ये परिणाम निरपेक्ष नैतिकता की परिधि के अंतर्गत आते हैं। ये ‘कैरट एंड स्टिक’ की नीति पर आधारित हैं जो मनोबल एवं प्रेरणा को बढ़ावा देने के काम आते हैं। इस प्रकार कर्तव्यनिष्ठता के तर्क के मध्य समन्वय स्थापित किया जा सकता है।
इसी परिप्रेक्ष्य में कांट के नैतिक कर्त्तव्य की अवधारणा को देखा जा सकता है। इसके अनुसार व्यक्तिगत लाभों और हितों से इतर व्यक्ति को अपना कर्त्तव्य करना चाहिये। इस प्रकार कर्त्तव्य के लिये आत्मप्रेरण जो कि आंतरिक होना चाहिये, स्वयं नैतिक कानून है। अर्थात् उचित की अनुभूति होना जो डर, दंड या पुरस्कार से निरपेक्ष होना चाहिये। अतः प्रबंधक, टीम लीडर द्वारा किया गया प्रदर्शन मूल्यांकन एक बाह्य प्रेरणात्मक कार्य है। यह अल्पावधि हेतु सही है जो प्रभावी या निष्प्रभावी हो सकता है। परंतु दीर्घकालीन स्तर पर आंतरिक प्रेरणा और कर्त्तव्यनिष्ठा ही व्यक्तिगत तौर पर कार्यक्षमता को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।