आप एक जिले में जिलाधिकारी के पद पर नियुक्त हैं। एक दिन आपको सूचना मिलती है कि आपके जिले के एक गाँव में तथाकथित उच्च जाति के लोगों ने दलितों की जल आवश्यकताओं को पूरा करने वाले एकमात्र कुएँ में केरोसिन तेल डाल दिया है ताकि दलितों के लिये कुएँ का जल पीने योग्य न रहे। जब आप गाँव में वास्तविक स्थिति का पता लगाने जाते हैं, तब आपको ज्ञात होता है कि इस घटना के पीछे असली कारण ‘जातीय-श्रेष्ठता’ का दंभ है। दरअसल एक दलित व्यक्ति ने अपनी पुत्री की शादी में बैंड पार्टी को बुलाया था। गाँव की तथाकथित उच्च जाति के लोगों ने इसका विरोध किया क्योंकि उस गाँव में यह परम्परा है कि दलित बैंड पार्टी को अपनी शादी में नहीं ला सकते। वे दूल्हे का स्वागत सिर्फ ढोल से ही कर सकते हैं। परंतु, उस दलित व्यक्ति ने इस परम्परा को न मानते हुए पुलिस को सूचना देकर कड़ी सुरक्षा के बीच बैंड पार्टी के साथ बेटी की शादी की। उसने ग्रामीणों की बहिष्कार की धमकी को भी अनसुना किया। गाँव की तथाकथित उच्च जाति के लोग इस घटना से बहुत नाराज थे। उन्होंने इसी घटना के कारण गुस्से में उस कुएँ में केरोसिन तेल डाल दिया, जिसका इस्तेमाल दलित करते थे। अब गाँव में दोनों वर्गों के मध्य तनाव चरम पर है। (i) इस केस स्टडी में कौन-कौन से नैतिक मुद्दे निहित हैं? (ii) एक जिलाधिकारी के तौर पर आप कौन-से कदम उठाएंगे?
उत्तर :
(i) इस केस स्टडी में निम्नलिखित नैतिक मुद्दे निहित हैं-
- अतार्किक परंपरा जिसके अनुसार दलित बैंड पार्टी नहीं बुला सकते।
- गाँव में व्याप्त जातिवाद की समस्या, विशेषतः उच्च व निम्न जातियों के मध्य जातीय-तनाव।
- किसी वर्ग विशेष को जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से जान-बूझकर वंचित करना।
- उच्च जातियों में जातीय श्रेष्ठता का अतार्किक एवं अनैतिक दंभ।
(ii) गाँव की स्थिति सामाजिक दृष्टि से तनावयुक्त है। एक ओर यहाँ सामाजिक तनाव को कम करने की अहम आवश्यकता है तो दूसरी ओर दलितों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले कुएँ में केरोसिन तेल डालकर उनके ‘स्वच्छ जल की उपलब्धता’ के मौलिक अधिकार का उल्लंघन कर अपराध करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी आवश्यक है। एक जिलाधिकारी के तौर पर मैं दो-तरफा कार्रवाइयों द्वारा आगे बढ़ता-
(क) तत्कालीन कार्रवाइयाँ
- दोषियों को शीघ्र पकड़ने के लिये पुलिस को आदेश देता।
- शीघ्र-अतिशीघ्र शहर या पास के गाँव से स्वच्छ जल के टैंकर मंगवाकर दलितों के मोहल्ले में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करता।
- अपने अधीनस्थ अधिकारियों को आदेश देता कि जल्दी-से-जल्दी दलितों के इलाके में एक बोरवेल खुदवाया जाए और कुएँ से केरोसिन साफ कराया जाए। ये दोनों कार्य होने तक टैंकरों द्वारा दलितों को पानी की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराई जाए।
- दलितों को आश्वासन देता कि प्रशासन उनके सहयोग के लिये पूरी तरह प्रतिबद्ध है तथा उनके साथ गलत नहीं होने दिया जाएगा।
(ख) दीर्घकालीन कार्रवाईयाँ
- दलितों एवं उच्च जातियों के गणमान्य लोगों को एक साथ बुलाकर उन्हें गाँव में सौहार्दपूर्ण तरीके से रहने के लिये समझाता। उच्च जाति के लोगों को बताता कि इस तरह की घटनाएँ सिर्फ तनाव व विद्वेष फैलाती हैं।
- उच्च जाति के प्रतिनिधियों को समझाता कि छूआछूत और जल में मिलावट जैसी घटनाएँ बहुत गंभीर प्रकृति के अपराध हैं तथा अतार्किक परंपराओं के नाम पर ‘जातीय श्रेष्ठता’ को जबरदस्ती स्थापित करने की कोशिश में उन पर ‘एस.सी. एक्ट’ तथा अन्य विभिन्न धाराओं के अंतर्गत कड़ी कार्रवाई हो सकती है। अतः दोबारा ऐसी हरकतों के लिये गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
- मैं गाँव के दोनों पक्षों के पढ़े-लिखे और समझदार लोगों को बैठाकर बार-बार समझाता (Persuasion) कि जाति के आधार पर भेदभाव अनैतिक तथा कानूनन अपराध है। उनके द्वारा अपने-अपने पक्ष के लोगों को मिल-जुलकर रहने तथा गाँव में शांति का वातावरण बनाये रखने के लिये समझाने की कोशिश करनी चाहिये। साथ ही, मैं स्वयं उस गाँव में समय-समय पर कुछ ऐसे कार्यक्रम (जैसे-खेल, नाटक, सांग, नुक्कड़) कराने की कोशिश करता जिसमें दोनों पक्षों के लोग भाग भी लेते और शिक्षा भी तथा उनके मध्य असमानता की भावना कम होती।