आपका सिविल सेवा में चयन हो जाता है। आपको आपके पैतृक गाँव में सम्मानित करने के लिये ग्राम पंचायत द्वारा निमंत्रण दिया जाता है। आपकी प्राथमिक शिक्षा गाँव में ही हुई थी लेकिन उसके पश्चात् आपका परिवार शहर में बस गया था। आप 15 वर्षों पश्चात् अपने गाँव जा रहे हैं। आपका गाँव राजस्थान के नागौर ज़िले के एक दूर-दराज क्षेत्र में स्थित है। आपके गाँव में पानी के अभाव की बहुत बड़ी समस्या है। गाँव में हरियाली न के बराबर है, मरुस्थलीकरण बढ़ रहा है तथा पेड़ों के नाम पर सिर्फ ‘खेजड़ी’ के वृक्ष हैं। गाँव में बोरवैल नहीं है, क्योंकि जमीन के अंदर का पानी बहुत अधिक खारा है। लोगों ने अपने घरों में पानी के बड़े-बड़े टैंक बनवा रखे हैं जिनमें वे वर्षा का जल इकट्ठा कर लेते हैं और सालभर उसी जल को इस्तेमाल करते हैं। गाँव में खेजड़ी के अलावा किसी भी अन्य वृक्ष को उगाने को अपशगुन माना जाता है। उसी के चलते गाँव में वृक्ष की घनी छाया या हरियाली के दर्शन नहीं हो पाते। आप अपने गाँव की इस समस्या के संबंध में क्या दृष्टिकोण रखेंगे और गाँव वालों के लिये क्या कदम उठाएंगे जिससे गाँव के पर्यावरण व लोगों के जीवन में सुधार लाया जा सके?
09 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नपैतृक गाँव होने के कारण उस गाँव के साथ मेरा आत्मीयता का लगाव स्वाभाविक है। ऐसे में गाँव के लोगों की मनोवृत्ति एवं गाँव की दुर्दशा देखकर परिवर्तन लाने की इच्छा सहज ही संकल्पित हो जाती है। यहाँ खेजड़ी के अलावा अन्य वृक्षों के उगने को अपशगुन मानना, गाँव में मरुस्थलीकरण का बढ़ना तथा जल के आत्यंतिक अभाव की स्थिति का होना ही गाँव की दुर्दशा का मूल कारण दिखाई देता है। ऐसे में पर्यावरण के प्रति गाँव वालों को सजग करने तथा उचित जल-प्रबंधन के लिये प्रोत्साहित करने के लिये मैं निम्नलिखित कदम उठाऊँगा-
(i) सबसे पहले गाँव वालों की इस मनोवृत्ति में परिवर्तन लाना ज़रूरी है कि खेजड़ी के अलावा अन्य सभी वृक्ष अपशगुनी होते हैं। मेरे विचार से यह धारणा खेजड़ी के कम पानी की उपलब्धता में भी उग जाने और अन्य वृक्षों के भूमि से अधिक पानी सोखने की मान्यता से जुड़ी है। ऐसे में मैं गाँव वालों को ‘अनुनयन’ द्वारा समझाने का प्रयत्न करूँगा कि अनेक अन्य वृक्ष भी ऐसे हैं जो छायादार भी होते हैं, फल भी देते हैं किंतु खेजड़ी की तरह ही उन्हें भी पानी की कम आवश्यकता होती है, जैसे-नीम, रोहिड़ा, बेर, सीरिश, कैर, पीपल आदि। इन पेड़ों को उगाने में भी अधिक पानी की खपत नहीं होती और ये गाँव में मरुस्थलीकरण को रोकने व हरियाली लाने में अत्यंत सहायक होंगे।
(ii) उन्हें रालेगन सिद्धि, हिवरे बाज़ार और पिपलांत्री जैसे गाँवों के उदाहरणों से समझाता कि किस प्रकार पूरे गाँव के प्रयास से जल-प्रबंधन द्वारा गाँव की तस्वीर बदली जा सकती है।
(iii) गाँव के सरपंच से अनुरोध करता की ‘मनरेगा’ जैसे कार्यक्रमों का पूरा सदुपयोग करते हुए पक्की तली के तालाब बनवाएँ जिनमें वर्षा जल लंबे समय तक संग्रहित रह सके।
(iv) गाँव के लोगों को नहाने के पश्चात् व घरेलू उपयोग के पश्चात् बचे पानी को पेड़ों में डालने के लिये प्रेरित करूँगा।
(v) गाँव के स्कूल के अध्यापकों से मिलकर आग्रह करूँगा कि पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को जल के सदुपयोग, प्रबंधन एवं वृक्षों/पर्यावरण की महत्ता के संबंध में हमेशा सही ज्ञान व दिशा दें।
(vi) मैं गाँव के गणमान्य लोगों के साथ क्षेत्र के विधायक व सांसद से भी मिलूँगा और निवेदन करूँगा कि गाँव को या तो किसी प्रकार से नहरों से जोड़ा जाए या पाइपलाइनों द्वारा पर्याप्त जल की उपलब्धता कराई जाए।