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प्रश्न :
व्यक्ति की अभिवृत्ति के निर्माण में विभिन्न सामाजिक व व्यक्तिगत कारक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक बार अभिवृत्तियाँ निर्मित हो जाती हैं तो उनमें बदलाव बहुत मुश्किल हो जाता है। इस संदर्भ में अभिवृत्तियों के दोषों की चर्चा कीजिये।
10 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
सामान्यतः किसी मनोवैज्ञानिक विषय के पक्ष या विपक्ष में सकारात्मक या नकारात्मक भाव की तीव्रता को अभिवृत्ति कहते हैं। आमतौर पर अभिवृत्तियाँ व्यक्तिगत अनुभव एवं समाज के साथ अंतर्क्रिया द्वारा सीखी जाती है। कुछ जन्मजात कारक भी अभिवृत्ति निर्माण में छोटी किंतु महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चूँकि अभिवृत्ति सापेक्षतः स्थायी होती है तथा इसमें प्रेरित करने की शक्ति भी होती है, इसी विशेषता के कारण ‘अभिवृत्ति’ के कुछ नुकसान (दोष) भी परिलक्षित होते हैं, यथा-
- अभिवृत्तियाँ रूढ़िवादिता बढ़ाती हैं क्योंकि अधिकांश अभिवृत्तियाँ बचपन में ही विकसित हो जाती है और उन्हें बदलना काफी कठिन होता है। इस कारण सामाजिक रूढ़ियाँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनी रहती हैं।
- अभिवृत्तियों के कारण हमारा दृष्टिकोण वस्तुनिष्ठ और तटस्थ नहीं रह पाता है जबकि सिविल सेवकों के लिये यह ज़रूरी है कि उनका दृष्टिकोण वस्तुनिष्ठ तथा तटस्थ हो।
- व्यक्ति में लचीलापन कम हो जाता है यानी परिस्थितियाँ यदि प्रतिकूल हो जाएँ या बदल जाएँ तो वह खुद को आसानी से समायोजित नहीं कर पाता।
- समाज के वंचित वर्गों को इसका सबसे छयादा नुकसान झेलना पड़ता है। एक तो वे ही वंचित हैं तथा साथ ही उच्च वर्ग या शोषक वर्ग की अभिवृत्तियाँ उनके विचारों को या व्यवहारों को बदलने नहीं देती। दलितों, महिलाओं, अश्वेतों, विकलांगों, अल्पसंख्यकों के शोषण की बड़ी वजह प्रभुत्वशाली समूहों में उनके प्रति नकारात्मक अभिवृत्तियों का होना तथा पीढ़ी-दर-पीढ़ी उनका संचरित होना है।
उपरोक्त स्थितियों में नकारात्मक अभिवृत्ति परिलक्षित हो रही है, जिसे विभिन्न उपायों यथा-धारण/अनुनयन, संदर्भ समूह में परिवर्तन, व्यक्तित्व में परिवर्तन, अतिरिक्त सूचनाओं आदि के द्वारा परिवर्तित किया जाना चाहिये।
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