धर्म और नैतिकता मानव जीवन के दो महत्त्वपूर्ण पहलू हैं तथा ये दोनों ही मानव व्यवहारों को नियंत्रित करते हैं। इन दोनों के अंतर्संबंध से इतर इनके मध्य के अंतरों का उल्लेख करें।
18 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नप्रायः यह माना जाता है कि धर्म और नैतिकता में अविच्छिन्न संबंध है। कुछ विचारकों के अनुसार धर्म से ही नैतिकता का जन्म होता है। धार्मिक नियम ही नैतिक नियम है। ईश्वर को धर्म का ‘आदर्श’ माना गया है तथा इसी ईश्वर की इच्छा पर शुभ-अशुभ, उचित और अनुचित, नैतिक और अनैतिक निर्भर हैं। वहीं, कुछ अन्य विद्वानों का मत है कि नैतिकता से धर्म का आविर्भाव हुआ है। नैतिकता मनुष्य को नैतिक व्यवस्थापक के रूप में मानती है। यदि मनुष्य अनैतिक/अशुभ कार्य करता है तो उसे दण्ड देने के लिये ‘ईश्वर’ की संकल्पना की गई है। यदि व्यक्ति शुभ कर्म करता है तब उसे पुरस्कार भी ईश्वर ही देता है। ईश्वर में विश्वास धर्म पर ही आधारित है और इस प्रकार विचारकों के अनुसार धर्मशास्त्र का आधार नीतिशास्त्र बन जाता है।
नैतिकता एवं धर्म के मध्य का अंतरः
इन अंतरों के बावजूद धर्म और नैतिकता एक दूसरे से गहरे से जुड़े हैं तथा मानव जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। इन दोनों को एक-दूसरे का ‘पूरक’ यदि नहीं भी कहा जाये तो सहचारी जरूर कहा जा सकता है।