गांधी जी का दर्शन अपने आप में संश्लेषण की प्रयोगशाला थी। विवेचना कीजिये।
20 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नगांधीवाद एक सनातन दर्शन (Perennial Philosophy) कहा जा सकता है क्योंकि उनके दर्शन की प्रमुख अवधारणाओं-अहिंसा, सत्याग्रह, सर्वोदय, सत्य और ईश्वर, साधन की पवित्रता इत्यादि की उपस्थिति दुनिया की सभी धार्मिक परंपराओं में पाई जाती है तथा इनकी प्रासंगिकता सदैव बनी रहती है। गांधी जी के चिंतन का अध्ययन करने पर हम पाते हैं कि उनके चिंतन पर विभिन्न धर्मों, धर्म-ग्रंथों, विचारकों एवं दार्शनिकों का प्रभाव रहा है।
गांधी जी ने श्रीमदभगवद्गीता से नैतिक और निरपेक्ष कर्मयोग की सीख ली। वे ‘गीता’ को माता कहते थे तथा गीता के श्लोकों को अपना मार्गदर्शक। गांधी जी अहिंसा को मनुष्य-मात्र का सर्वोच्च नैतिक कर्त्तव्य मानते थे। उन्होंने जैन व बौद्ध धर्म से यह अहिंसा का तत्त्व ग्रहण किया।
गांधी जी ने अपने जीवनकाल में अनेक विचारकों एवं दार्शनिकों के लेखों एवं पुस्तकों को अध्ययन कर, उनके उपयोगी तत्त्वों का अपने दर्शन में समावेश किया। समाज-कल्याण की भावना, श्रम की महत्ता, साधारण जीवन पद्धति जैसे विचारों को उन्होंने ‘जॉन रस्किन’ से सीखा। हेनरी डेविड थॉरो के निबंध 'On Civil Disobedience' से उन्होंने ‘सत्याग्रह’ की तकनीक का विचार ग्रहण किया।
गांधी जी टॉलस्टॉय की पुस्तक 'The Kingdom of God' से भी काफी प्रभावित थे। उन्होंने टॉलस्टॉय के अंहिसा संबंधी विचारों, शक्ति और शोषण पर आधारित आधुनिक समाज की निन्दा के सिद्धांत तथा साधन की शुद्धता के विचार का समर्थन किया। गांधी जी टॉलस्टॉय की विचारधारा से परिचित होने के पश्चात् सभी प्राणियों में ‘ईश्वर के वास’ के सिद्धांत पर ‘अन्तरात्मा की आवाज’ जैसे विचार को अपने दर्शन में समाहित कर पाये। गांधी जी ने जब उपयोगितावाद की ‘बहुसंख्यक’ विचारधारा तथा जॉन रस्किन की ‘अल्पसंख्यक’ की विचारधारा में अंतर्विरोध देखा तो उनको मिलाकर ‘सर्वोदय’ को अस्तित्व में ला दिया।
इन सबके अलावा भी गांधी जी अद्वैतवेदान्त, लॉक, प्लेटो, कांट, रूसो एवं मैकियावेली के दर्शन से भी प्रभावित रहे। इसीलिये उनका दर्शन विभिन्न विचारों एवं दर्शनों का एक प्रभावी संश्लेषण बन पाया।