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प्रश्न :
आप एक जिले में जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) के पद पर नियुक्त हैं। आप जिले के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा का स्तर जाँचने के लिये एक ‘विद्यार्थी गुणवत्ता संवर्धन टीम’ गठित करती हैं, जिसका कार्य प्राइमरी स्कूलों में औचक निरीक्षक कर वहाँ शिक्षा के स्तर के संबंध में आपको रिपोर्ट देना है। ‘टीम’ के सदस्य जब एक प्राइमरी स्कूल में जाते हैं तो उन्हें वहाँ एक अध्यापक नशे की हालत में मिलता है। बच्चों से पूछताछ करने पर पता चलता है कि वह अध्यापक अक्सर शराब के नशे में ही स्कूल आता है। कक्षा प्रथम से पाँचवी तक के उस स्कूल में कुल 12 विद्यार्थी और 2 अध्यापक ही हैं। सबसे नज़दीक दूसरा प्राइमरी स्कूल वहाँ से 6 कि.मी. दूर है। बच्चों की शिक्षा का स्तर भी शून्य पाया जाता है तथा उन्हें विषय से संबंधित या उससे इतर किसी भी प्रकार की एक्टिविटी भी नहीं सिखाई जाती हैं। ‘टीम’ के सदस्य जब नशे में धुत उस अध्यापक से उस विषय में बात करते हैं तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाता। ‘टीम’ जब उस अध्यापक का ‘मेडिकल’ कराने की बात करती है तो वह उन सबको चकमा देकर स्कूल से भाग जाता है। विद्यार्थी गुणवत्ता संवर्धन टीम इस पूरे प्रकरण के संबंध में आपको सूचित करती है। इस केस स्टडी में कौन-कौन से नैतिक मुद्दे निहित हैं? एक डीईओ के तौर पर आप क्या कदम उठाएंगे?
31 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
यह घटना वास्तव में बेहद स्तब्धकारी है। जिन अध्यापकों के कंधों पर देश/समाज के ‘नौनिहालों’ का भविष्य संवारने की अहम जिम्मेदारी होती है तथा जिनके आचरण व चरित्र का बच्चे अनुकरण करते हैं, यदि वे अध्यापक शराब के नशे में स्कूल आएँगे और अध्यापन में अरूचि दिखाएंगे, तब हो निश्चित तौर पर समस्या अति गंभीर मानी जाएगी।
इस केस-स्टडी में निम्नलिखित नैतिक मुद्दे निहित हैं-
- अध्यापक में ‘व्यावसायिक नैतिकता’ का अभाव।
- सरकारी स्कूल में शिक्षा का गिरता स्तर तथा बच्चों की कम होती संख्या।
- बच्चों के भविष्य से खिलवाड़
- ‘शिक्षा का अधिकार’ कानून के प्रभावी क्रियान्वयन में असफलता।
एक जिला शिक्षा अधिकारी के तौर पर मैं निम्नलिखित कदम उठाऊंगी-
- सबसे पहले उस शराब पीकर स्कूल आने वाले अध्यापक को निलंबित करूंती तथा उसकी जानकरी डी.सी. को दूंगी। साथ ही, उस स्कूल में तुरंत प्रभाव से किसी अन्य अध्यापक को प्रतिनियुक्ति पर भेजूंगी।
- जिले के सभी सरकारी स्कूलों में अध्यापकों के सही आचरण से संबंधित नियमों का एक सर्कूलर जारी करूंगी तथा निर्देश दूँगी कि जो अध्यापक नियमों का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- सभी सरकारी स्कूलों में औचक निरीक्षण दौरों की संख्या बढ़ा दूँगी।
- बच्चों के परिजनों को जागरूक करने का एक अभियान चलाऊंगी ताकी परियजन भी बच्चे की शिक्षा के संबंध में सतर्क रहें तथा ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों को भी सरकारी स्कूलों के प्रबंधन में भागीदारी के लिये प्रोत्साहित करूँगी।
- विभिन्न सरकारी स्कूलों तथा निजी स्कूलों के मध्य पाठ्यक्रम संबंधी प्रतियोगिताएँ जैसे- निबंध गोष्ठी, वाद-विवाद, क्वीज़ आदि का आयोजन कराऊंगी ताकी सरकारी स्कूल के अध्यापक व बच्चे प्रतिस्पर्धात्मक भावना में बेहतर प्रयास करें।
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