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प्रश्न :
आप एक राज्य के पुलिस प्रमुख (डी.जी.पी.) है। आपके राज्य के किसान अपनी कुछ मांगों को लेकर राज्यभर में अहिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार किसानों की मांगों के संबंध में कोई ठोस निर्णय नहीं ले पा रही है। इसी कारण कुछ दिनों के अहिंसक प्रदर्शन के बाद राज्य के एक जिले में आंदोलनकारी उग्र हो जाते हैं और सुरक्षाबलों की एक टीम को चारों तरफ से घेर कर पत्थरबाज़ी करने लगते हैं। सुरक्षाबल अपने बचाव में ‘फायरिंग’ कर देते हैं, जिसमें छह किसान मारे जाते हैं तथा कई किसान घायल हो जाते हैं। किसानों की मौत के बाद आंदोलन और अधिक उग्र हो जाता है तथा लोग बसों, ट्रकों, पुलिस की गाड़ियों, सार्वजनिक संपत्तियों एवं एक पुलिस चौकी को आग के हवाले कर देते हैं। जब जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक लोगों को समझाने जाते हैं तो लोग गुस्से में उनके साथ मारपीट करते हैं। यह मुद्दा राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो जाता है तथा राज्य व केंद्र सरकार आपको स्थिति को तुरन्त नियंत्रित करने का आदेश देती है। ऐसी स्थिति में आप कौन-से कदम उठाएंगे जिससे आंदोलन भी शांत हो जाए तथा लोगों में प्रशासन को लेकर विश्वास बहाली भी हो जाए?
09 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
यहाँ गौर करने की बात यह है कि आंदोलन शुरुआत से ही किसानों की मांगों को लेकर था, जिस पर सरकार की असमञ्जस्ता ने किसानों के संयम को तोड़ा और वे हिंसक गतिविधियाँ करने लगे। किंतु, पुलिस पर तत्थरबाजी करने और प्रत्युत्तर में गोलीबारी में छह किसानों की मौत ने स्थिति को ज्यादा उग्र तथा पेचिदा बना दिया है तथा अब यह आंदोलन थोड़ा पुलिस विरोधी भी हो गया है। राज्य के पुलिस प्रमुख होने के नाते इन परिस्थितियों में मैं निम्नलिखित कदम उठाता-
(i) सबसे पहले उस जिले के पुलिस अधीक्षक का किसी दूसरे जिले में तबादला कर, किसी अच्छी छवि वाले अनुभवी पुलिस अधीक्षक की उस जिले में प्रतिनियुक्ति करता क्योंकि पुलिस की फायरिंग से लोग आक्रोशित हैं और वे पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ सख्त कदम उठाने की अपेक्षा करते हैं।
(ii) जिले में निधेषात्मक आदेश लागू कर अन्य जिलों से अतिरिक्त पुलिस बलों को उस जिले में व्यवस्था कायम रखने में लगवाता। साथ ही, नए पुलिस अधीक्षक को निर्देश देता कि जिले के असामाजिक तत्त्वों को निगरानी में ले।
(iii) इंटरनेट व मोबाइल सेवाएँ कुछ समय के लिये बंद करा देता और रेडियों, टेलीविजन, प्रिंट मीडिया के जरिये जिले के सभी लोगों को शांति बनाए रखने की अपील करता तथा जिले में शांति भंग करने की कोशिश करने वालों को चेतावनी भी देता। साथ ही, मेडिकल, फायरब्रिगेड जैसी आपातकालीन सेवाओं की 24 × 7 उपलब्धता सुनिश्चित करता।
(iii) सभी किसान नेताओं के साथ बातचीत करता एवं उन्हें विश्वास दिलाता कि उनके व पुलिस के हितों में कोई टकराव नहीं है तथा यदि कोई पुलिसवाला दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।
(v) जिले में आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति बहाल करने के लिये कर्फ्यू में थोड़े-थोड़े समय के लिये ढ़ील देता।
(vi) एक बार शांति बहाली होने के पश्चात पुलिस को भी अधिक 'People friendly' बनाए जाने के बारे में दिशा-निर्देश देता व समय-समय पर ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन किये जाने का प्रबंध सुनिश्चित करता ताकि भविष्य में लोगों व पुलिस के मध्य विश्वास कायम हो सके।
(vii) स्थानीय सांसद, विधायक या राज्य के मुख्यमंत्री के साथ पीड़ित परिवारों से भी मिलता तथा सरकार द्वारा घोषित सहायता को यथासंभव अतिशीघ्र उन्हें दिलाने का प्रयत्न करता।इस प्रकार, मेरी पूरी कोशिश कानून व व्यवस्था को बनाये रखने, किसी अप्रिय घटना को होने से रोकने तथा लोगों की पुलिस के साथ फिर से आपसी विश्वास बहाली की रहेगी।
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