समुचित उदाहरणों के साथ स्पष्ट करें कि सिविल सेवाओं/प्रशासन में भावनात्मक बुद्धिमता के प्रयोग द्वारा तनावग्रस्त स्थितियों को किस प्रकार नियंत्रित किया जा सकता है?
03 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नअपनी तथा दूसरों की भावनाओं को समझने तथा उनका समुचित प्रबंधन करने की क्षमता को भावनात्मक बुद्धिमत्ता कहते हैं। वर्तमान में सिविल सेवाओं में तनाव का स्तर ऊँचा है क्योंकि कल्याणकारी राज्य की निरंतर बढ़ती अपेक्षाएँ, गठबंधन की राजनीति के कारण परस्पर विरोधी तथा कठिन दबाव, मीडिया का दबाव, सिविल सोसाइटी के आंदोलन इत्यादि सिविल सेवकों से ही तत्काल परिणाम चाहते हैं। इतनी जटिल परिस्थितियों में वही सिविल सेवक सफल हो पाता है, जिसमें तनाव प्रबंधन तथा अपनी व दूसरों की भावनाओं के प्रबंधन की क्षमता अधिक होती है।
लोक प्रशासन का लंबा अनुभव रखने वाले लोगों का मानना है कि तनावग्रस्त अवसरों (उग्र प्रदर्शन, दंगा) पर भावनात्मक बुद्धिमता के द्वारा ही स्थिति को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। जैसे-
(i) मान लिजिये कि किसी जिले के किसान या कोई मजदूर संगठन अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहा है और सरकार अपनी मांगों पर विचार नहीं कर रही है। ऐसे में प्रदर्शनकर्त्ता उग्र होते जा रहे हैं। इस स्थिति में भावनात्मक बुद्धिमता के ये लाभ हो सकते हैं-
(ii) जिन क्षेत्रों में जातिगत या साम्प्रदायिक तनाव ऊँचे स्तर पर रहता है, वहाँ के प्रसासकों पर यह विशेष दायित्व होता है कि वे सभी समूहों के साथ मैत्री-भाव रखें, चाहे उनकी व्यक्तिगत आस्था किसी एक के साथ हो। जैसे जैन साहब कलेक्टर हैं और बकरीद का त्यौहार है, ऐसे में उन्हें उस समुदाय को बधाई देनी होगी और वह भी इस तरह से कि अगर जैन साहब के मन में इस त्यौहार के प्रति कटुता है, तो भी बिलकुल नजर न आए। भावनात्मक बुद्धिमत्ता से युक्त व्यक्ति ही ऐसे तनावग्रस्त क्षेत्र में प्रशासन चला सकते हैं।
इस प्रकार, भावनात्मक बुद्धिमता से युक्त सिविल सेवक कठिन व तनावयुक्त परिस्थितियों में भी बिना धैर्य खोये संतुलित मनोस्थिति के साथ लोगों से स्वयं को जोड़ते हुए हालातों पर नियंत्रण प्राप्त ही लेता है।