सार्वजनिक जीवन में संप्रेषण को प्रभावशाली व सफल बनाने में किन-किन कारकों का अहम योगदान होता है? एक प्रसिद्ध व्यक्तित्व (जैसे-क्रिकेटर, फिल्मी सितारे) के किसी उत्पाद का विज्ञापन करते समय उस उत्पाद के उपभोक्ताओं के प्रति क्या उत्तरदायित्व होने चाहियें?
उत्तर :
एक प्रभावी संप्रेषण सार्वजनिक जीवन की बहुत महत्त्वपूर्ण और अपरिहार्य जरूरत होती है। एक लोकसेवक जनता के साथ तब तक नहीं जुड़ पाता जब तक उसके और जनसाधारण के मध्य उचित तरीके से व पर्याप्त मात्रा में संप्रेषण नहीं होता। संप्रेषण को प्रभावशाली व सफल बनाने में निम्नलिखित कारक सहायक होते हैं-
- संप्रेषक की विश्वनीयताः यदि लक्षित समूह संप्रेषक पर भरोसा करता है, तब संप्रेषण का प्रभाव गहरा होना निश्चित होता है। जैसेः वर्तमान में अन्ना हजारे यदि किसी मुद्दे पर अपनी राय रखते हैं और लोगों को संबोधित करते हैं, तो अधिकतर लोग उनको ध्यान से सुनते हैं और उनकी बात पर विश्वास करते हैं। इसी तरह यदि कोई कृषि वैज्ञानिक किसानों के मध्य अपने विचार रखता है तो किसानों संग उसका संप्रेषण प्रभावी रहता ही है।
- यदि संप्रेषक इस प्रकार अपनी बात रखे की श्रोता को बिलकुल यह अहसास न हो कि वह अपने फायदे के लिये ऐसी बात कह रहा है, तब संप्रेषण का प्रभाव बढ़ जाता है। जैसेः सचिन तेंदुलकर का एक आर.ओ.वॉटर फिल्टर का विज्ञापन जिसमें वह बच्चों के अच्छे खिलाड़ी बनने के लिये साफ पानी पीने के महत्त्व को बताते हैं। इस विज्ञापन में ऐसा प्रतीत होता है कि मूल संदेश ‘स्वच्छ पानी पीना चाहिये’ है।
- संप्रेषक का आकर्षक होना भी संप्रेषण को प्रभावशाली बनाता है। जैसेः प्रियंका गांधी वाड्रा किसी राजनीतिक पद पर नहीं है फिर भी आकर्षक व्यक्तित्व की बदौलत रायबरेली व अमेठी की जनता के मध्य बहुत प्रभावी संप्रेषण कर पाती हैं।
- स्पष्ट संदेश का संप्रेषण में अधिक असर होता है। यदि संदेश अस्पष्ट व अमूर्त हो तो प्रभाव कमजोर होता है।
- एक तरफा संप्रेषण की अपेक्षा दो-तरफा संचार का प्रभाव ज्यादा होता है।
- संप्रेषण में गैर-भाषिक अभिव्यक्तियों की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है, जैसे- चेहरे के हाव-भाव, विभिन्न अंगों की गतियाँ, आँखों का संपर्क इत्यादि। वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अपनी संप्रेषण कला में उन गैर-भाषिक अभिव्यक्तियों का पर्याप्त मात्रा में प्रयोग करते हैं।
जनता प्रायः प्रसिद्ध व्यक्तित्व (क्रिकेटर, फिल्म सितारे आदि) से प्रभावित होती है और उनके द्वारा जिन उत्पादों का विज्ञापन किया जाता है, उन उत्पादों को विश्वसनीय समझकर खरीदती है। ऐसी स्थिति में उन प्रसिद्ध लोगों का भी उत्तरदायित्व बनता है कि वे ऐसे उत्पादों का विज्ञापन न करें जिनका वे खुद उपयोग न करते हों या जो अपनी ‘विशेषताओं’ के अनुरूप न हो या जो उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिये नुकसानदायक हो। हाल ही के समय में अमिताभ बच्चन और विराट कोहली ने एक शीतल पेय के विज्ञापन के लिये, सुशील कुमार व सचिन ने शराब के विज्ञापन के लिये तथा रणबीर कपूर ने एक गोरा करने की कॉस्मेटिक क्रीम के विज्ञापन के लिये मना कर दिया। ऐसे कदम व संवेदनशीलता उनको जनसाधारण की नजरों में अधिक प्रतिष्ठित करते हैं।