आप एक निजी अस्पताल में चिकित्सक के पद पर कार्यरत हैं। एक दिन आपके पास एक गर्भवती महिला आती है और आपसे अनुरोध करती है कि उसे ऐसी दवा दें जिससे उसका गर्भपात हो जाए। आप उसे पूरी स्थिति बताने के लिये कहते हैं। दरअसल उस महिला के पहले से ही तीन बेटियाँ हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है लेकिन फिर भी पति और ससुराल के अन्य लोगों की ‘लड़के’ की चाह के कारण वह पुनः गर्भवती हुई। तीन माह के गर्भ पर जब उसने व उसके पति ने एक अन्य निजी अस्पताल में पैसे देकर भ्रूण लिंग जाँच कराई तब पता चला कि उसके तीन लड़कियाँ एक साथ गर्भ में हैं। इस सूचना से उसका पति और वह स्तब्ध रह गए। वे पहली तीन लड़कियों का लालन-पालन भी अच्छे से नहीं कर पा रहे हैं। अब यदि 3 लड़कियाँ और हो गई तो समाज व ससुरालवाले तो जीना दूभर करेंगे ही, लड़कियों की जिन्दगी भी खराब होनी निश्चित है। इसीलिये महिला ने गर्भपात का फैसला लिया है।
(क) इस केस-स्टडी में कौन-कौन से नैतिक मुद्दे निहित हैं?
(ख) एक चिकित्सक के तौर पर आप नैतिकतः क्या फैसला लेंगे?
(क) उपरोक्त केस-स्टडी में निम्नलिखित नैतिक मुद्दे निहित हैं-
(i) लैंगिक विभेदः समाज में अब भी लड़कों को लड़कियों के मुकाबले अत्यधिक वरीयता दी जाती है। ‘लड़के’ की चाह में ही उक्त महिला तीन लड़कियों की माँ होते हुए भी पुनः गर्भवती हुई।
(ii) महिला और उसके पति ने गैर-कानूनी तरीके से भ्रूण-लिंग जाँच कराई, जो PCPNDT Act के तहत एक गंभीर अपराध है।
(iii) MTP Act, 1971 (Medical Termination of Pregnancy Act, 1971) के तहत बिना मजबूत आधारों (भ्रूण में आनुवांशिक समस्या या गर्भवती के जीवन की सुरक्षा) के गर्भपात को स्वीकृति नहीं दी जा सकती। ऐसा करना अपराध है। इसीलिये महछा गरीबी की पृष्ठभूमि और गर्भ में कन्या-भ्रूण की उपस्थिति के तर्क पर तो किसी भी कीमत पर गर्भपात की अनुमति नहीं दी जा सकती।
(iv) निजी अस्पतालों के चिकित्सकों द्वारा धन के लालच में अवैध तरीके से भ्रूण-जाँच करना तथा गर्भपात करना।
(v) सरकार द्वारा आज तक जनता में इतनी सामाजिक चेतना न जागृत कर पाना कि लड़का और लड़की में विभेद अनैतिक व अप्रगतिशील सोच है, सरकार की विफलता है। साथ ही, लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य एवं भविष्य की सुनिश्चितता हेतु जो कार्यक्रम और नीतियाँ है, उनके बारे में जनता में जागरूकता न होना भी चिंतित करता है।
(ख) एक चिकित्सक के तौर पर ‘हिपोक्रेटिक ओथ’ का साक्षी मैं ऐसी स्थिति में महिला को समझाऊँगा (Persuasion) कि उसके द्वारा भ्रूण का लिंग जाँच कराना तो कानून अपराध था ही, अब कन्या-भ्रूण के आधार पर गर्भपात कराना भी एक जुर्म है। दूसरा, यदि वह मेरे अतिरिक्त भी किसी अन्य से गर्भपात की दवा लेती है तो मौजूदा गर्भावधि में उसके जीवन को भी खतरा है।
एक चिकित्सक का कर्त्तव्य लोगों के स्वास्थ्य एवं जीवन की सुरक्षा करना होता है। मैं उस महिला को पुनः समझाता कि यदि उसके गर्भ में तीन लड़कियों की बजाय तीन लड़के होते, तब उन लड़कों का भरण-पोषण वो जैसे करते, वैसे ही इन लड़कियों का भी पालन-पोषण हो जाएगा। साथ ही, मैं उस महिला के पति की भी कांउसिलिंग करता तथा उसे सरकार द्वारा लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य व आर्थिक सुरक्षा हेतु चलाई गई विभिन्न योजनाओं यथा- ‘सुकन्या समृद्धि योजना’, ‘किशोरी शक्ति योजना’, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ आदि के संदर्भ में विस्तार से बताता तथा उसे लड़कियों के भविष्य के प्रति निश्चिंत करने का प्रयास करता। उसे विभिन्न उदाहरणों से समझाता कि किस प्रकार विश्वभर में लड़कियाँ लड़कों से ज्यादा उपलब्धियाँ हासिल कर रही हैं।
इस प्रकार मैं उक्त महिला और उसके पति को प्रेरित करता ताकि वह महिला उन लड़कियों को जन्म भी दे और उनसे लगाव भी रखे।