आत्म-प्रबंधन (Self-regulation) और बेहतर अंतर-वैयक्तिक दक्षता (Interpersonal Skill) किस प्रकार एक लोक सेवक की कार्यक्षमता एवं नेतृत्व को अन्यों से श्रेष्ठ बनाती हैं?
12 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नवर्तमान में सिविल सेवाओं में तनाव का स्तर ऊँचा है। इसके पीछे कारण है कल्याणकारी राज्य की निरंतर बढ़ती अपेक्षाएँ, गठबंधन की राजनीति के कारण परस्पर विरोधी तथा कठिन दबाव, सीमित बजट किंतु ऊँचे उद्देश्य, मीडिया का दबाव, सिविल सोसाइटी के आंदोलन आदि। ऐसी जटिल स्थितियों में आत्म-प्रबंधन और अंतर-वैयक्तिक दक्षता के कौशल से युक्त एक लोक सेवक अपनी कार्यक्षमता एवं नेतृत्व में औरों से बेहतर सिद्ध होता है।
आत्म-प्रबंधन से तात्पर्य है- व्यक्ति द्वारा अपनी भावनाओं के स्वभाव, उनकी तीव्रता तथा उनकी अभिव्यक्ति को प्रबंधित करना। जैसे- यदि भावना की प्रकृति उचित नहीं है तो उसे अभिव्यक्त होने से रोक देना, यथा- बहुत क्रोध होने पर हिंसा का भाव आ सकता है, उसे रोकना। इसी प्रकार यदि भावना सही है, किंतु उसकी तीव्रता गलत है तो उसे संतुलित करना; उदाहरणतः विलंब से आने वाले कर्मचारी को सीधे निलंबित करने की बजाए ज्यादा उचित है इसे कारण बताओ नोटिस जारी किया जाये। पुनः अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए ध्यान रखना कि अभिव्यक्ति की अधिकता स्वयं एक समस्या न बन जाये।
अंतर-वैयक्तिक दक्षता से तात्पर्य है कि व्यक्ति के अन्य व्यक्तियों के साथ संबंध इस तरह से बनाकर रखने चाहिये कि उन संबंधों से उसे तथा सभी को लाभ हो; यथा-
निष्कर्षतः यह कहना तर्कसंगत ही प्रतीत होता है कि आत्म-प्रबंधन और अंतर-वैयक्तिक क्षमता में कुशल एक लोक सेवक अन्य लोगों से बेहतर नेतृत्वकर्त्ता व कार्यदक्ष साबित होता है।