समुदायवादिता (Communitarianism) से आपका क्या अभिप्रायः है? वर्तमान के मुक्त बाजार अर्थव्यवस्थाओं के दौर में यह सिद्धांत कितना प्रासंगिक है?
11 Dec, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नसमुदायवादिता विचारों का ऐसा प्रवाह है जिसमें मुख्य लक्ष्य समुदाय का हित है तथा इसका दृष्टिकोण व्यक्तिगत चयन सिद्धांत तथा मुक्त बाजार अर्थव्यवस्थाओं के विपरीत है। समुदायवादियों के अनुसार ‘लोक निर्णयन’ का इच्छित लक्ष्य समुदाय है, व्यक्तिगत चयन का अधिकतमीकरण नहीं। प्रायः सरकारों को जिन लक्ष्यों को प्राप्त करना होता है, वे होते हैं- स्वस्थ नागरिक (लोक स्वास्थ्य), पर्यावरण की संरक्षा, अपराधों में कमी करना तथा सामाजिक समरसता बनाये रखना। समुदायवाद इन्हीं लक्ष्यों की प्राप्ति के संदर्भ में शिष्ट वार्तालाप, समस्याओं के तर्कसंगत विश्लेषण तथा निष्पक्ष निजी निर्णयन को महत्त्व देता है। इस सिद्धांत के अनुसार कानून तब ही प्रभावी होंगे जब वे विशिष्ट लक्ष्यों पर केंद्रित नैतिक चेतना पर आधारित होंगे।
समुदायवादी किसी भी व्यक्ति को वंशानुगत रूप से समाज में स्थित मानते हैं। समाज में ही लोग अपनी पहचान प्राप्त करते हैं और अपना अस्तित्व महसूस करते हैं। समाज तथा अन्य प्राणी मानवीय जीवन और उसकी प्रसन्नता की पूर्व शर्त हैं। इस प्रकार, समुदायवादी समाज को व्यक्ति से उच्चतर प्राथमिकता देते हैं।
समुदायवादिता का विचार बाजारवाद के उस आर्थिक सिद्धांत से बिल्कुल विपरीत है जिसमें व्यक्ति का अपना हित ही एक प्रेरक शक्ति के तौर पर कार्य करता है तथा जिसमें असंख्य व्यक्तिगत निर्णय एक अदृश्य हाथ द्वारा समन्वित होते हैं। मुक्त अर्थव्यवस्था का विचार उन क्षेत्रों को समाहित करने के लिये शासन के न्यूनतम हस्तक्षेप की अनुमति देता है जहाँ बाजार की ताकतें या तो काम नहीं करती या परिणाम देने में असफल रहती हैं। इसके विपरित, समुदायवादी तर्क करते हैं कि दूसरों के लिये सोचना, परोपकारवादिता, समुदाय आधारित सहबद्धता तथा समूह आधारित अन्य भावनाएँ सामाजिक जीवन की नींव में हैं।
इस प्रकार हम पाते हैं कि एक कल्याणकारी राज्य तब ही अपने उद्देश्यों को प्रा्रप्त करने में पूर्णतया सफल हो सकता है यदि वह आर्थिक विकास तथा लोगों के कल्याण, दोनों लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु मुक्त अर्थव्यवस्था और समुदायवादिता के सिद्धांतों में पर्याप्त संतुलन बनाए रखे।