- फ़िल्टर करें :
- सैद्धांतिक प्रश्न
- केस स्टडीज़
-
प्रश्न :
एक लोकसेवक से सदैव अपेक्षित रहता है कि वह सार्वजनिक निधियों का उचित, तर्कपूर्ण एवं न्यासंगत उपयोग व वितरण करे। यह तभी संभव है जब व्यवस्था भ्रष्टाचार रहित हो। इस संदर्भ में लोकसेवाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार से निपटने के लिये नवाचारी उपायों को सुझाएँ।
19 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
सार्वजनिक निधि कल्याणकारी तथा अन्य सरकारी योजनाओं के लिये धन का अंतिम व एकमात्र स्रोत होती है। ऐसे में, जनसामान्य की बेहतरी व राष्ट्र की प्रगति के लिये सार्वजनिक निधियों का कुशल उपयोग एक अनिवार्य आवश्यकता है।
लोकसेवाओं में भ्रष्टाचार को दूर करके ही सार्वजनिक निधियों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है। विभिन्न प्रकार के कानूनों की उपस्थिति के बावजूद लोक सेवाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार कुछ अन्य नवाचारी उपायों की भी मांग करता है।
भ्रष्टाचार से निपटने के लिये किये जा सकने वाले अन्य उपायः- सार्वजनिक व व्यक्तिगत जीवन में उच्च नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना। भ्रष्टाचार से निपटने के लिये ब्रिटेन की लार्ड नोलन की रिपोर्ट में प्रस्तुत 7 सिद्धांत-निःस्वार्थता, सत्यनिष्ठा, वस्तुनिष्ठता, उत्तरदायित्व की भावना, खुलापन, ईमानदारी और नेतृत्व विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण हैं।
- सभी विभागों के लिये नीति संहिताओं व आचरण संहिताओं का निर्माण और उनका कड़ाई से पालन।
- गोपनीयता की संस्कृति की जगह पारदर्शिता की संस्कृति का विकास करना। पारदर्शिता नागरिकों को सरकार के कामों की जानकारी प्रदान कर उन्हें सरकार के कार्यों की समीक्षा करने में सक्षम बनाती है। उत्तरदायित्व का सुनिश्चित व वस्तुनिष्ठ निर्धारण।
- विकेंद्रीकरण तथा शासन में लोगों की सहभागिता बढ़ाना।
- प्रशासन में नागरिक समाज की भागीदारी बढ़ाना।
- शिक्षा व्यवस्था में सुधार तथा शिक्षा द्वारा भ्रष्टाचार विरोधी मूल्यों को बढ़ावा दिया जाना।
- केंद्रीय सतर्कता आयोग, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो जैसी संस्थाओं को राजनीतिक नियंत्रण व दबाव से मुक्त रखना। सशक्त लोकपाल/लोकायुक्त प्रणाली की स्थापना करना।
इस प्रकार, एक बहुआयामी व दीर्घकालीन रणनीति द्वारा ही लोक सेवाओं को भ्रष्टाचार से मुक्त कर सार्वजनिक निधियों का सदुपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print