किन परिस्थितियों में आपको लगता है कि झूठ बोलना उचित है? क्या इन परिस्थितियों में झूठ बोलने से आप अपराध बोध की भावना से ग्रस्त होते हैं?
24 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नसामान्यतः झूठ बोलने को अनैतिक माना जाता है लेकिन गीता में बताया गया है कि आपद धर्म के समय झूठ बोलना सच बोलने से भी बेहतर है क्योंकि यहाँ उद्देश्य और लक्ष्य पवित्र होता है।
निम्नलिखित परिस्थितियों में झूठ बोलने को हम उचित कह सकते हैं-
1. यदि किसी के जीवन की रक्षा करने के लिये झूठ बोला गया है तो वह नैतिक है।
2. संविधान और संप्रभुता की रक्षा के लिये तात्कालिक रूप से बोला गया झूठ जो देश या मानवता के व्यापक हित को साधता हो।
3. किसी व्यक्ति के अधिकारों का हनन हो रहा है या किसी को झूठ से फायदा हो किंतु नैतिक रूप से अच्छा हो रहा है, जैसे किसी रोगी को उम्मीद भाव से सूचना देना कि आप का स्वास्थ्य बहुत तेजी से सुधर रहा है, आप जरूर ठीक हो जाएंगे।
4. यदि आपकी सकारात्मक सोच है और कुछ परिस्थितियों में किसी को फायदा हो और नैतिक अशुभ न हो तो झूठ बोलना नैतिक हो सकता है।
इस प्रकार के झूठ के अंदर कभी भी अपराध बोध की भावना नहीं आती क्योंकि गांधी जी ने कहा था कि अपवाद की परिस्थितियों के अंदर झूठ सच से भी बेहतर होता है। वहीं अपराध बोध की भावना तभी आएगी जब हमने अपने लिये झूठ बोला हो उदाहरण के रूप में हम लांस आर्मस्ट्रांग को देख सकते हैं जिसने वर्ल्ड एन्टी डोपिंग एजेंसी (WADA) द्वारा प्रतिबंधित दबाओं का उपयोग करते हुए साइकिलिंग के क्षेत्र में कई खिताब जीते थे, जिसे बाद में वापस ले लिया गया था।