‘सत्यनिष्ठा’ (Integrity) से आप क्या समझते हैं? बौद्धिक सत्यनिष्ठा (Intellectual Integrity) और बौद्धिक पाखंड (Intellectual Hypocrisy) में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर :
सत्यनिष्ठा व्यक्ति की निजी विशेषता होती है बशर्ते की वह बेईमान, अनैतिक या दुष्ट किस्म का न हो। यह चरित्र की पूर्णता को निर्दिष्ट करती है जिसके सभी अवयवों में आतंरिक सुसंगति होती है। सत्यनिष्ठा से संपन्न किसी व्यक्ति का आचरण सभी स्थितियों में उसके नैतिक सिद्धांतों के अनुरूप होता है साथ ही उसके नैतिकता का आधार भी वस्तुनिष्ठ होता है। इस तरह सत्यनिष्ठा के अंतर्गत नैतिक और व्यावहारिक दोनों तरह की सुसंगति समाहित हैं।
- नैतिक सुसंगति में निहित है कि नैतिक सिद्धांतों का अधिक्रम या सोपान-क्रम भी सुनिश्चित हो और दो सिद्धांतों के टकराव की स्थिति में संशय न हो। यदि कभी व्यक्ति में नैतिक विचलन भी होता है तो वह उस विचलन को न्यायसंगत ठहराने में भी सक्षम हो। कांट के शब्दों में कहें तो “मुझे किसी नियम के उल्लंघन का हक तभी है जब मैं यह कह सकूँ कि जैसी स्थिति में मैं हूँ वैसी स्थिति में नियम का उल्लंघन करना भी नियम माना जा सकता है।”
बौद्धिक सत्यनिष्ठा और बौद्धिक पाखंड में अंतर
- बौद्धिक सत्यनिष्ठा के तहत हम अपना मूल्यांकन उन्हीं मानकों और उतनी ही कठोरता से करतें हैं जिनपर किसी अन्य व्यक्ति का भी करतें हैं, जबकि बौद्धिक पाखंड में अपने लिये अलग और किसी दूसरे के लिये अलग मानदंड अपनाया जाता हैं।
- बौद्धिक सत्यनिष्ठा के अंतर्गत दूसरी बात यह है कि अपने सिद्धांतों और व्यवहारों में मौजूद अंतर्विरोधों को दूर करने की सिफारिश करता है, इसके विपरीत बौद्धिक पाखंड में अपने अंतर्विरोधों को जान-बूझकर नज़रअंदाज किया जाता है और उसके प्रति लापरवाही बरती जाती है।