नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    नैतिक दुविधाओं से आप क्या समझते हैं? एक लोक सेवक को किन-किन नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ता है ?

    03 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    जब कोई व्यक्ति दो विकल्पों में से किसी एक के चयन को लेकर असमंजस की स्थिति में रहता है और इनमें से कोई भी विकल्प उसे संतोषजनक परिणाम नहीं प्रदान कर पाता है तो ऐसी स्थिति में नैतिक दुविधाएँ उत्पन्न होती हैं। इन परिस्थितियों में सामाजिक और व्यक्तिगत नैतिक दिशानिर्देश भी चयनकर्त्ता के लिये उपयोगी नहीं होते हैं। इस तरह नैतिक दुविधा एक जटिल स्थिति होती है यहाँ नैतिक अनिवार्यताओं के बीच स्पष्ट मानसिक मुठभेड़ देखने को मिलती है, जिसमें किसी एक का अनुपालन करने से अन्य की अवहेलना करनी पड़ती है।

    एक लोक सेवक के समक्ष निम्नलिखित प्रकार की नैतिक दुविधाएँ हो सकती हैं-

    • व्यक्तिगत क्षति (Personal Cost) से सम्बंधित नैतिक दुविधा:  यह परिस्थितिजन्य नैतिक दुविधा है जो निर्णयकर्ता को जटिल स्थितियों में नैतिक आचरण के अनुपालन के परिणामस्वरूप पर्याप्त व्यक्तिगत क्षति के रूप में प्राप्त होतीहै।
    • उचित-बनाम-उचित (Right-versus-Right) से सम्बंधित नैतिक दुविधा: यह प्रामाणिक नैतिक मूल्यों के दो या दो से अधिक विवादास्पद सेटों की परिस्थितियों से उत्पन्न होती है।
    • सम्मिलित(Conjoint) नैतिक दुविधाएँ: जब कोई सावधानीपूर्वक निर्णय करने वाला व्यक्ति ‘उचित-कार्य करने की तलाश में’ उपर्युक्त दोनों दुविधाओं के एकीकरण का शिकार हो जाता है तो उसके समक्ष इस प्रकार की दुविधाएँ उत्पन्न होती हैं।
    • इसके अतिरिक्त सरकार के प्रति उत्तरदायी होने बनाम समुदाय के हित में कार्य करने में (क्योंकि उसके समक्ष ऐसी भी परिस्थितियाँ आती हैं कि वह किसी एक का चुनाव करे) जब उसके विशेषज्ञ निर्देश स्वयं के मूल्यों के विपरीत हो जाते हैं। साथ ही कुछ समान परिस्थितियों में सामने आ रहे दो विकल्प सही प्रतीत होते हैं तो भी नैतिक दुविधाएँ उत्पन्न होती हैं।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow