क्या सामाजिक नियमों को नैतिकता का मापदंड माना जा सकता है ? चर्चा करें।
10 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नमनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज पर ही उसका अस्तित्व निर्भर है। समाज के आदेश उसके लिये आचरण संबंधी आदर्शों के समान हैं। समाज जिसे अनुमति दे, वह मनुष्य के लिये उचित और जिसे निषिद्ध करे, वह अनुचित है। समाज व्यक्ति से अपने नियमानुकूल व्यवहार करने की अपेक्षा रखता है।
समाज के नियम किसी संसद द्वारा या किसी व्यक्ति-विशेष द्वारा निर्मित नहीं होते। वे समाज के प्रचलन और रीतियों में ही व्यक्त किये जाते हैं। समाज अपने नियमों को पुरस्कार के प्रलोभन या दंड के भय के माध्यम से ही पालन करवाता है। जाति बहिष्कार अथवा बायकाट समाज द्वारा दिये जाने वाले दंड के रूप हैं। इस प्रकार प्रतीत होता है कि नैतिकता का संरक्षण समाज की शक्ति और दंड के द्वारा ही होता है अर्थात् समाज द्वारा आदेशित कर्म ही नैतिक है।
परंतु इस मान्यता के खंडन में भी कुछ तर्क इस प्रकार हैं –
सामाजिक नियम सार्वभौमिक तौर पर लागू नहीं होते और समय के साथ उनमें परिवर्तन होता रहता है। अतः उन्हें नैतिकता के स्थायी मापदंडों के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। परंतु यह भी सत्य है कि सामाजिक नियम व्यक्ति के कर्म-व्यवहार को काफी हद तक उचित–अनुचित में विभाजित करते हैं।