अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता से क्या अभिप्राय है? अंतर्राष्ट्रीय मामलों के अंतर्गत आने वाले नैतिक मुद्दों पर प्रकाश डालें।
उत्तर :
अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता उन सभी तथ्यों और व्यवहारों का योग है, जिनसे वैश्विक समाज अनुकूल अथवा प्रतिकूल रूप से प्रभावित होता है। अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता ही वह दृष्टि प्रदान करती है जिससे यह पता चलता है कि दो देश आपस में कैसा व्यवहार करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मामलों के अंतर्गत नैतिक मुद्दे:-
विकास और वर्चस्व की दौड़ में आज विभिन्न देशों के बीच परस्पर सहयोग के साथ-साथ प्रतिस्पर्द्धा में भी लगातार वृद्धि हो रही है। अतः अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई तरह के नैतिक मुद्दे अस्तित्व में आ गए हैं। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :-
- जलवायु परिवर्तन- समूचा विश्व आज जलवायु परिवर्तन का सामना कर रहा है, इसके बावजूद कई राष्ट्रों के मध्य इस मुद्दे पर मतभेद बने हुए हैं। उदाहरण के लिये पेरिस-जलवायु समझौते से अमेरिका का पीछे हटना उसकी पर्यावरणीय नैतिकता के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता को भी संदिग्ध बना देता है।
- सार्वजनिक-प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग- सुदूर समुद्री क्षेत्र, अंतरिक्ष, अंटार्कटिका तथा कई प्राकृतिक स्थल जो किसी भी देश की सीमा से परे हैं , का उपभोग और स्वामित्व का अधिकार भी नैतिक समस्याएँ खड़ी कर रहे हैं। दक्षिणी चीन सागर का मुद्दा ऐसा ही एक उदाहरण है।
- राजनीतिक तथा मानवतावादी हस्तक्षेप – कुछ यूरोपीय देशों तथा अमेरिका ने कुछ एशियाई एवं कुछ अफ्रीकी देशों में “जनमत के विरोध” को आधार बनाकर उनके आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप किया है तथा अप्रत्यक्ष रूप से उन देशों की सत्ता को नियंत्रित करने का प्रयास किया है। अफगानिस्तान, इराक तथा सीरिया के आतंरिक संघर्ष इन्हीं हस्तक्षेपों के परिणाम हैं।
- कुछ अन्य अंतर्राष्ट्रीय नैतिक मुद्दों में निःशस्त्रीकरण, बौद्धिक संपदा अधिकार, विश्व व्यापार संगठन द्वारा किये गए प्रावधान इत्यादि भी शामिल हैं, जहाँ किसी एक देश या कई देशों के हितों को अनदेखा कर अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता को प्रश्नगत किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों के बीच पारस्परिक संबंधों का वैश्विक समुदाय से प्रत्यक्ष संबंध होता है। यदि ये संबंध मधुर होते हैं तो यह समूची मानव-सभ्यता के लिये हितकारी होता है। वैश्विक समुदाय को अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता का आधार मज़बूत करने के लिये विश्व बंधुत्व जैसे मूल्यों को अपनाना होगा।